४ जून, नई दिल्ली: आज़ादी के ६ दशक तक नेहरु-गाँधी विरासत को ढोने वाली कांग्रेस अब आंबेडकर के नाम का उपयोग करने वाली है. इसके लिए आम्बेडकर की १२५ जयंती पर साल भर चलने वाले कार्यकर्मो का आगाज़ कर चुकी है. यह कवायद दलित वोट बैंक को वापस पाने के लिए की जा रही है. सूत्रों के मुताबिक राहुल गाँधी दलित समुदाय से जुड़े मुद्दे जैसे प्रोन्नति में आरक्षण जैसे विषयों को मुद्दा बनाकर दलितों को लामबंद करने का प्रयास करने वाले हैं. प्रोन्नति पर आरक्षण के मुद्दे पर दलित कांग्रेस के पास आएगा या नहीं यह तो भविष्य के गर्भ में है किन्तु सवर्ण दूर चला जायेगा यह बात निश्चित है क्यूंकि इससे सवर्णों की प्रोन्नति जरूर रुक जाएगी.

Very enlightening thought…
It is true that undeserved favour to a particular class of people will result deprivation of deserving candidates of other group.
It’s a time for relook the policies.
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