बिहार विधान सभा की तारीखे घोषित की जा चुकी हैं. बिहार में चुनाव लड़ने वाले सभी दल अपनी अपनी तैयारी कर रहे हैं. सभी अधिकारों के बात कर रहे हैं, सभी दलितों और तथाकथित महादलित की बातें कर रहे हैं. अभी बिहार के पिछड़ेपन की बातें कर रहे हैं. सवर्ण उपेक्षा का शिकार है. सवर्ण कहीं नहीं हैं, सवर्णों को कोई नहीं पूछता. बिहार में सवर्ण हरा हुआ जुआरी बनकर रह गया है.
जनता दल यूनाइटेड
जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष शरद यादव है (सवर्ण नहीं). भावी घोषित मुख्यमंत्री नितीश कुमार है (सवर्ण नहीं). जनता दल यूनाइटेड हमेशा दलितों महादलितो की बात करता है. महादलितों की एक अलग श्रेणी बनता है. १९३१ के बाद जातिओं की जनगणना हुई नहीं तब भी स्वम्भू जनगणना आयोग बनकर जनता दल यूनाइटेड घोषित करता है की बिहार में कितने प्रतिशत दलित हैं? जनता दल यूनाइटेड कभी सवर्णों के अधिकारों की बात नहीं करता है. अगर जनता दल यूनाइटेड की फिर से सरकार बनती भी है तो क्या आप किसी भावी सवर्ण नेता का नाम बता सकते है जो सरकार में कोई महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा? क्या किसी नयी योजना का नाम बता सकते हैं जो केवल सवर्णों के कल्याण के लिए बनाई जाएगी.
भारतीय जनता पार्टी
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र यादव (सवर्ण नहीं) हैं. भाजपा के प्रधानमंत्री को लोकसभा चुनाव के दौरान अचानक पता चला की वे स्वयं भी पिछड़ी जाति के हैं. अतः अगर उनका विकास हुआ तो दलितों का विकास भी होना चाहिए. उनका यह मानना है की प्रत्येक नेता केवल अपनी जाति वालों का ही ध्यान रखता है. मोदी ने गैस सब्सिडी छोड़ने की अपील की लेकिन क्या किसी से कभी आरक्षण छोड़ने की बात की? भाजपा को तो सवर्णों की पार्टी मन जाता है. मानते रहो क्या फर्क पड़ता है. कभी किसी भाजपा नेता ने कहा की मुझे सवर्ण होने पर गर्व है? दलित वोटों की जरुरत है तो जीतन राम माझी जैसा विभीषण कब कम आएगा. जीतेगी तो भाजपा और हारेगा तो माझी. भाजपा को सवर्णों की कोई चिंता नहीं है. अगर किसी सार्वजनिक अथवा चुनावी सभा में भाजपा का कोई नेता सवर्णों के हित की कोई बात कहे तो उसे रिकार्ड कर लीजिये और पुब्लिक पोलिटिकल पार्टी के ऑफिस में ले आईये. इनाम मिलेगा.
राष्ट्रीय जनता दल
राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष हैं लालू प्रसाद यादव (सवर्ण नहीं). दलितों के तथाकथित मसीहा और न्यायालय के गुनाहगार. कभी किसी ने लालू के मुह से सवर्णों के लिए शुभ वचन सुने हैं? मनसा वाचा कर्मणा में किसी भी माध्यम से वे सवर्णों के लिए शुभ नहीं हैं.
लोक जनशक्ति पार्टी
लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष राम विलास पासवान (सवर्ण नहीं) है. कभी इनकी और लालू की प्रतिस्पर्धा चलती थी की सवर्णों का सबसे बड़ा दुश्मन कौन है? अर्थात दलितों का मसीहा कौन है. क्या इस पार्टी में कोई सवर्ण नेता है. इनसे सवर्णों को कोई उम्मीद नहीं है.
हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा
हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम माझी हैं. ये स्वयं को दलितों में दलित कहते हैं. मन कर्म वचन से हैं भी दलित. इनसे सवर्ण क्या अपेक्षा कर सकता है.
अन्य पार्टियाँ
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी, पप्पू यादव और ओबीसी की पार्टी ये सब दलितों की ही बातें करती है. क्या बिहार में सवर्णों का कोई भी रहनुमा नहीं है.
पब्लिक पोलिटिकल पार्टी
बिहार के सवर्णों आपको पब्लिक पोलिटिकल पार्टी के बिहार में चुनाव लड़ने तक इंतजार करना पड़ेगा क्यूंकि पपोपा के अतिरिक्त सवर्णों का रहनुमा कोई नहीं है, थोडा इंतजार और…उजाला होने वाला है…
