भारतीय मतदाता मुगालते में जीता है. उसको अभी तक यह मुगालता था की भाजपा सवर्णों की पार्टी है. ब्राम्हणों को मुगालता था की भाजपा ब्राम्हणों की पार्टी है. बनियों को मुगालता था की भाजपा बनियों की पार्टी है. बिहार विधान सभा चुनाव में जब सब तथाकथित दलित वोटरों के तरफ भाग रहे थे तो भाजपा भी भागने लगी. सवर्णों को लगा की उनका मुगालता टूट जायेगा पर तभी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने सर संचालक मोहन भागवत ने यह कहकर की वर्तमान आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा की जाएगी, इसके लिए सरकार समिति बनाये. सवर्णों ने अपने को समझा लिया की चलो हमारा मुगालता टूटा नहीं. बेचारे सवर्ण अपने को ठीक तरह से समझा भी नहीं पाए थे की भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा की भाजपा वर्तमान आरक्षण व्यवस्था की ही पक्षधर है. बेचारे सवर्ण अब क्या करें जब उनका मुगालता पूरी तरह से टूट गया. अब सवर्णों की एकमात्र उम्मीद केवल पब्लिक पोलिटिकल पार्टी (पपोपा) से ही बची है जिसका मुख्य मुद्दा सवर्ण आरक्षण है.
