पब्लिक पोलिटिकल पार्टी (पपोपा) के 51% सवर्ण आरक्षण आन्दोलन को सुप्रीम कोर्ट ने भी मान्यता प्रदान कर दी है. 8 दिसंबर 2016 से पब्लिक पोलिटिकल पार्टी 51% सवर्ण आरक्षण आन्दोलन कर रही है. आन्दोलन के प्रथम चरण में पार्टी के कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी जंतर मंतर, दिल्ली में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं. 51% सवर्ण आरक्षण आन्दोलन में मुख्य मांग यह है की ‘आरक्षित वर्ग को जो आरक्षण दिया जा रहा है वो दिया जाता रहे किन्तु उनके अनारक्षित वर्ग में आने अथवा उसका लाभ लेने पर रोक लगा दी जाये, अर्थात अनारक्षित सीटों को अनारक्षित वर्ग (सवर्ण समाज) के लिए आरक्षित कर दी जाये.’ ज्ञात हो की अनुसूचित जाति को 15%, अनुसूचित जनजाति को 7.5% एवं एनी पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण प्राप्त है. इस रूप में कुल 49.5% आरक्षित है. पपोपा की मुख्य मांग यह है की 50.5% (पूर्णांक में 51%) को सामान्य वर्ग अर्थात सवर्ण (ब्रह्मण + क्षत्रिय + कायस्थ + वैश्य समाज) के लिए आरक्षित कर दिया जाये.
अप्रैल 2017 में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आर भानुमती एवं जस्टिस ए ए एम खानविल्कल की पीठ ने आरक्षण को लेकर एक बड़ा फैसला किया था. इसके अनुसार एक बार आरक्षित वर्ग में छूट एवं अन्य रियायतें लेने के बाद उम्मीदवार आरक्षित वर्ग के लिए ही नौकरी का हक़दार होगा, फिर चाहे उसने क्यूँ न सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी से अधिक अंक हासिल कियें हो.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन सबसे पहले मेडिकल की संयुक्त प्रवेश परीक्षा नीट 2017 में किया गया. इस बार ऑल इंडिया कोटे की सीटों के लिए नई कटेगरी ‘यू आर’ (अन रिजर्व) दी गई है. इस केटगरी में सामान्य वर्ग के अभ्यथियों के साथ ही ओ बी सी सूचि में शामिल न होने वाले अभ्यथियों को जगह दी गई है. इस केटगरी में आरक्षित वर्ग के किसी भी अभ्यर्थी को शामिल नहीं किया गया है, फिर चाहे उसने सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी से अधिक अंक ही क्यूँ न हासिल किये हों. आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की अलग सूचि तैयार की गई है. इससे आरक्षित वर्ग के लगभग 9000 अभ्यर्थियों को नुकसान हुआ. इसका अर्थ यह है की यदि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के सम्बन्ध में यह व्यवस्था न दी होती तो सामान्य वर्ग (सवर्ण समाज) के 9000 अभ्यर्थी प्रवेश परीक्षा पास होने के बावजूद फ़ैल कर दिए जाते. पूर्व की परीक्षाओं में आरक्षित वर्ग के जो अभ्यर्थी सामान्य वर्ग (सवर्ण) की तुलना में बेहतर अंक हासिल करते थे उन्हें सामान्य वर्ग के की सूचि में शामिल कर लिया जाता था, और इस प्रकार सामान्य वर्ग (सवर्ण) के सफल अभ्यर्थी सफल सूची से बाहर हो जाते थे.
पब्लिक पोलिटिकल पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है. पपोपा अपने आन्दोलन के द्वारा आरक्षण के नाम पर किये जाने वाले अन्याय को समाप्त करने के लिए प्रयास कर रही है.
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