‘बनिए की भूल – कमल का फूल’ आजकल सोशल मीडिया पर इस मुहावरे का जबरजस्त इस्तमाल किया जा रहा है. मुझे whatsapp करने वाले जब एक सज्जन से मैंने इस मुहावरे का अर्थ पूछा तो उन्होंने इसे विस्तार से समझाया की बनिया अर्थात वैश्य समाज के लोग भाजपा के पारंपरिक समर्थक थे, अब भाजपा सरकार जिसका चुनाव निशान कमल का फूल है GST एवं अन्य व्यापारिक नियमो से उन्हें परेशान कर रही है और उनके व्यवसाय में रूकावट दाल रही है. इसलिए बनिया समाज के लोग भाजपा को जिताने के लिए अपराधबोध से ग्रस्त होते जा रहे हैं.

 

भारत में वैश्य समाज का मुख्य व्यवसाय व्यापार है. भारत में व्यापार करने वाले लोगों को बड़ी अजीब नजरों से देखा जाता है. इन्हें मुनाफाखोर, कालाबाजारी करनेवाला, शोषण करने वाला और विचोलिया समझा जाता है. ये सभी उपमाएं नकारात्मक हैं. जब किसी अन्य समाज का आदमी व्यापार करना चाहता है तो लगभग इन्ही नकारात्मक विचारों के कारण उसे हतोत्साहित किया जाता है.

जब कभी सामाजिक समारोह होते हैं तो मंच संचालक मंच पर बुलये जाने वाले सभी लोगों का परिचय उनके जीवन यापन के व्यवसाय से करता है जैसे शिक्षक को शिक्षक, डॉक्टर को डॉक्टर कहकर मंच पर बुलाता है जबकि व्यापारी को समाजसेवक कहकर मंच पर बुलाता है. क्या व्यापार करना पाप है. क्या बनिए का परिचय वास्तविक रूप से देने पर कुछ बुराई है? नहीं, हरगिज नहीं. लोग भूल जाते हैं की जब धन की आकस्मिक जरुरत पड़ती है तो सबसे अधिक मदद बनिया समाज के लोग ही करते हैं. याद कीजिये बेटी की शादी में, अपनों की तेरही में, बच्चे की पढाई में, अस्पताल में सबसे अधिक आर्थिक मदद किसने की, निश्चित रूप से बनिया समाज के लोग इन मामलों में सबसे आगे हैं.

जब इस देश में बैंक नहीं थे कौन उधार देता था? महाजन कौन होता था? ये थे बनिया समाज के लोग. देखिये न एक जैसा काम करके महाजन खलनायक बना दिए गए और बैंक सुविधा बन गए. बैकों के विकास के लिए महाजनों को खलनायक बनाना जरूरी थे क्या?

हिंदी फिल्मों में जब भी कोई बनिया दिखाया जाता है तो उसे खलनायक के रूप में ही प्रस्तुत किया जाता है, क्यूँ?

क्या आपने अपने निजी जीवन में कभी किसी बनिए को लड़ाई झगडा करते देखा है. बनिया जितना सहनशील जाति शायद इस देश में कोई नहीं है. शांति से अपना व्यापार करना, कभी किसी को परेशान ना करना, सरकार को चुपचाप कर देते रहना क्या बनिए की सिर्फ यही नियति है?

जब कोई व्यापारी विक्रय कर का पंजीयन कराने जाता हैं तो उसका रिकार्ड ऐसे रखा जाता है, फोटो ऐसे खीची जाती  है जैसे अपराधियों का. सामने से फोटो, दायें से फोटो, बाएं से फोटो क्यूँ खिची जाती है? क्या व्यापारी अपराध करने जा रहा है?

पब्लिक पोलिटिकल पार्टी बनिया समाज को आश्वस्त करती है की एक बार पब्लिक पोलिटिकल पार्टी पर विश्वास करके देखे और सरकार बनने पर अपने लिए प्राथमिकताओं की मांग करे.

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