चार्टर्ड अकाउंटेंट पर नजर रखेगी NFRA
मोदी सरकार चार्टर्ड अकाउंटेंट के कामकाज पर निगरानी रखने के लिए एक नई संस्था बनाने जा रही है. इस संस्था का नाम नेशनल फाइनेंसियल रिपोर्टिंग अथारिटी होगा. इस संस्था का उद्देश्य अघोषित रूप से चार्टर्ड अकाउंटेंट को परेशान करना है. इसके लिए मोदी सरकार कंपनी एक्ट में बदलाव करेगी, यह संस्था सीधे तौर पर वित्त मंत्रालय को रिपोर्ट भेजेगी. इसमें 15 सदस्य होंगे.
मोदी सरकार का कुतर्क है की पुरे भारत में 172000 चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं. इनमे से सिर्फ 25 ऑडिटर्स के खिलाफ ही एक्शन हुआ, जबकि चार्टर्ड अकाउंटेंट के खिलाफ 1400 से अधिक मामले चल रहे हैं. अभी चार्टर्ड अकाउंटेंट का रेगुलेशन इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ़ इंडिया करती है.
भारत में लगभग 500000 से अधिक लोग लोकसभा अथवा विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. इन लोगों ने चुनाव आयोग को शपथपत्र देकर स्वयं बताया है की ये अपराधी है या नहीं. इनपर कौन सा मुकदमा चल रहा है. तब भी केवल एक व्यक्ति को न्यायपालिका ने चुनाव लड़ने से रोका है. क्या मोदी सरकार उपरोक्त कुतर्क के आधार पर एक नई संस्था बनाएगी ताकि जैसे चार्टर्ड अकाउंटेंट पर नियंत्रण किया जायेगा वैसे ही संवेधानिक पदों पर बैठे लोगों पर भी नियंत्रण किया जा सके.
केंद्र एवं राज्यों के कुल मिलाकर 1 करोड़ से अधिक कर्मचारी हैं. ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार है. क्या मोदी सरकार सभी सरकारी कर्मचारियों एवं अधिकारीयों पर नियंत्रण के लिए कोई संस्था बनाएगी?
मोदी सरकार का आरोप है की चार्टर्ड अकाउंटेंट ने नोटबंदी के दौरान फर्जी कंपनिया बनवाकर नोटबंदी कालेधन को सफ़ेद करने में मदद की. जो मोदी सरकार नोटबंदी के दौरान प्रतिदिन-प्रतिघंटे नियम बदलती थी उसने नई कंपनियों के पंजीयन पर रोक क्यूँ नहीं लगाई?
अगर किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट ने नोटबंदी के दौरान नई कंपनियों का पंजीयन करवाया तो नियमों के अंतर्गत ही करवाया. चार्टर्ड अकाउंटेंट का मालिक अगर नई कम्पनी बनवाना चाहता है तो इसमें गलत क्या है. कम्पनी बनाते समय नहीं बताया जा सकता की कम्पनी फर्जी काम करेगी या सही काम करेगी. ये तो ऐसा ही है जैसे कोई वकील किसी मुलजिम का मुकदमा लेने से इंकार कर दे. कोई व्यक्ति मुलजिम है या मुजरिम है यह तय करना न्याय पालिका का काम है. वकील का नहीं. मोदी सरकार क्या ऐसा कानून बनाएगी की मुजरिम के साथ साथ उसके वकील को भी सजा दी जाएगी जैसा की उसने चार्टर्ड अकाउंटेंट के मामले में किया.
मोदी सरकार ने अर्धसत्यवादी वकील को वित्त मंत्री बन रखा है और ट्विटर प्रेमी चार्टर्ड अकाउंटेंट को रेल मंत्री. क्या कोई नियोक्ता इस तरीके से अपनी संस्था में नियुक्ति कर सकता है. कभी नहीं. नई संस्था बनाने में जिन 15 सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी, क्या वो चार्टर्ड अकाउंटेंट ही होंगे, क्या उन्हें अकाउंट और आडिट की समझ होगी? अगर मोदी सरकार की नियत सही है तो इस संस्था के सदस्य वित्त मंत्री को रिपोर्ट क्यूँ करें, क्यूँ न CAG को सीधे रिपोर्ट करें.
लोकेश शीतांशु श्रीवास्तव- राष्ट्रीय अध्यक्ष: पब्लिक पोलिटिकल पार्टी
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