सुप्रीम कोर्ट ने प्रावधान किया है की सार्वजानिक स्थल में फोन पर अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी व्यक्ति को जाति सूचक शब्द बोलना दंडनीय अपराध होगा. इसमें दोषी पाए गए व्यक्ति को अधिकतम 5 वर्ष की जेल हो सकती है. सर्वोच्च न्यायलय ने ऐसे एक मामले में आपराधिक कार्यवाही पर रोक से इंकार करते हुए दोषी व्यक्ति के खिलाफ दर्ज ऍफ़ आई आर ख़ारिज नहीं की. दोषी व्यक्ति ने एक एसटी/एससी महिला से जातिसूचक एवं अभद्र शब्द कहे थे.
सुप्रीम कोर्ट के प्रावधान पर प्रतिक्रिया करते हुए पब्लिक पोलिटिकल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लोकेश शीतांशु श्रीवास्तव ने कोर्ट से सवर्ण जातियों से सम्बंधित शब्दों जैसे ‘पंडित जी’, ‘ठाकुर साहब’, ‘सेठजी’, ‘लाला’, ‘चित्रांश’, ‘मुंशी’, आदि पर भी रोक लगाने की मांग की है. यह एक अन्याय ही है की सवर्ण जातिसूचक शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकते किन्तु अवर्ण जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं.
