“संविधान निर्माता, संविधान सभा के अध्यक्ष, भारत के प्रथम राष्ट्रपति (10 वर्ष तक) डॉ राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव को भारतीय जनता पार्टी एवं कांग्रेस दोनों ने भुला दिया है. उनकी नजर में ना तो डॉ राजेंद्र प्रसाद की राजनीति में कोई उपयोगिता है और ना ही कायस्थ समाज की अतः उनको याद करने की कोई जरुरत नहीं है.”

ये उद्गार पब्लिक पोलिटिकल पार्टी के संस्थापक श्री लोकेश शीतांशु श्रीवास्तव ने दिल्ली में डॉ राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव के जन्मदिन (3 दिसंबर) के अवसर पर कहे.

3 दिसंबर 1884 को देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव का जन्म बिहार के सिवान जिले में हुआ था. अपने जीवन के दौरान वह शिक्षक, वकील एवं एनी राजनीतिक पदों पर रहे. 1911 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होकर स्वाधीनता संग्राम में सक्रीय हुए 1934-35 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने.1946 में भारत का संविधान बनाने वाली संविधान सभा के अध्यक्ष बने. डॉ राजेंद्र प्रसाद ने आंबेडकर को संविधान बनाने वाली प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया था. 1950 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने, 1957 में भारत के दुबारा राष्ट्रपति बने. 1962 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया. उनका निधन 1963 में हुआ.

Dr Rajendra

इस अवसर पर लोकेश जी ने कहा की जब दिल्ली में गांधियों की समाधि हो सकती है तो संविधान निर्माता डॉ राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव की समाधि क्यूँ नहीं हो सकती. पब्लिक पोलिटिकल पार्टी इस सम्बन्ध में आन्दोलन चलाएगी और सत्ता में आने पर दिल्ली में संविधान निर्माता डॉ राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव की समाधि बनवाएगी.

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