एम् बी बी एस में प्रवेश लेने को इच्छुक सवर्णों (ब्राह्मण + क्षत्रिय + कायस्थ + वैश्य) के लिए मोदी सरकार ने प्रवेश नीति कठिन कर दी है. इससे सवर्णों का डॉक्टर बनना मुश्किल हो जायेगा. मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ में बैठने के लिए अभी तक तीन मौके मिलते थे, जिसकी बाध्यता मोदी सरकार ने अब ख़तम कर दी है. मेडिकल काउन्सिल ऑफ़ इंडिया के प्रस्ताव की तहत नीट की में बैठने के लिए उपरी आयु सीमा सामान्य वर्ग (सवर्ण) के लिए अधिकतम 25 वर्ष कर दी गई है जबकि अवर्णों के लिए यह अधिकतम 30 वर्ष कर दी गई है. एक प्रकार से यदि कोई सवर्ण 17 वर्ष की आयु में नीट की पहली परीक्षा देता है उसे अधिकतम 9 बार एवं अवर्ण को अधिकतम 14 बार परीक्षा देना का मौका मिलेगा.

पब्लिक पोलिटिकल पार्टी इस प्रकार के भेद भाव की कड़े शब्दों में निंदा करती है.

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