उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के द्वारा एक नया नियम बनाकर सामान्य वर्ग (सवर्ण=ब्राह्मण+क्षत्रिय+कायस्थ+वैश्य) को सरकारी नौकरी में प्रवेश को रोकने की साजिश की है. यह भाजपा के अवर्ण तुष्टिकरण का प्रयास है.

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने अपनी सबसे बड़ी भर्ती परीक्षाओं में से एक आरओ / एआरओ सामान्य तथा विशेष (बैकलाग) चयन 2017 में अब न्यूनतम अंको की बाध्यता लागु कर दी है. प्रारंभिक या मुख्य परीक्षा में 30% से कम अंक पाने वाले एसटी / एससी और 40% से कम अंक पाने वाले अन्य वर्ग (ओबीसी + सामान्य वर्ग) का चयन नहीं होगा. इसके साथ ही 1/3 की नेगेटिव मार्किंग भी लागु कर दी गई है.

योगी सरकार के इस नए नियम से सरकारी नौकरी की तैय्यारी करने वालों में रोष व्याप्त हो गया है. इस नियम का सीधा सा मतलब है की योगी सरकार सामान्य वर्ग के प्रत्याशियों को सरकारी नौकरी करने से रोकना चाहती है. जहाँ सामान्य वर्ग (सवर्णों) के लिए अधिकतम अंको के मानक बहुत ऊँचे हैं वहीँ न्यूनतम अंको के मानक भी बहुत ऊँचे रखे गए हैं. 10% न्यूनतम अंकों के मानक से अब यह तय हो गया है की सवर्णों के लिए उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरी पाना लगभग असंभव हो गया है.

पब्लिक पोलिटिकल पार्टी योगी सरकार के इस नियम का विरोध करती है.

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