स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया लाभ से अधिक जुरमाना वसूला | पपोपा ने किया विरोध
भारत के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने जो अपना लोन नहीं वसूल सकी, उसने अपने ग्राहकों से मिनिमम बैलेंस न होने पर उनके खातों से जुर्माने की रकम वसूल कर ली.
एस बी आई के 40.50 करोड़ खाताधारक हैं. 1 अप्रैल 2017 से मोदी सरकार की जीरो बैलेंस योजना को धता बताकर मिनिमम बैलेंस का नियम लागु कर दिया. अप्रैल 2017 से नवम्बर 2017 के मध्य एस बी आई ने लाभ तो 1581.55 करोड़ का प्राप्त किया पर मिनिमम बैलेंस के 1771 करोड़ रुपये वसूल लिए.
मिनिमम बैलंस वह रकम होती है जो खाता धारक यदि अपने खाते में नहीं रखता तो बैंक उससे जुरमाना वसूलते हैं. मोदी सरकार ने भारतीय लोगों को धोखा देते हुए जनधन खाते खुलवाये जो की शून्य बैलेंस के थे, अर्थात उसमे मिनिमम बैलेंस रखना जरूरी नहीं था. एसबीआई ने क्यूँ मिनिमम बैलेंस पर जुरमाना लगाया.
ऑटोमेटेड टेलर मशीन (ए टी एम्) भी बैंक के प्रतिनिधि के रूप में बैंक ही है. यदि आप रुपये निकालने जाते हैं और ए टी एम् में पैसे न हो तो इसका मतलब है की बैंक में मिनिमम बैलेंस नहीं है. क्या इसके लिए खाता धारक द्वारा जुरमाना नहीं लगाया जाना चाहिए? बैंक को चाहिए की इसके लिए खाता धारक को जुरमाना दे जैसे की वह खाते में मिनिमम रकम न होने पर ग्राहक से जुरमाना वसूलता है.
पब्लिक पोलिटिकल पार्टी (पपोपा) बैंको द्वारा की जाने वाली धोखाधड़ी का विरोध करती है.
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