किसान विरोधी भाजपा ने सरकारी गुंडों (पुलिस) से पिटवाया किसानो को

2 अक्टूबर 2018 , दिल्ली-उत्तर प्रदेश बार्डर | किसान विरोधी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकारों ने किसानो को सरकारी गुंडों अर्थात पुलिस से पिटवाया और गोलियां चलवाई. यह घटना गाँधी एवं शास्त्री जयंती २ अक्टूबर को दिल्ली उत्तर प्रदेश सीमा पर गाज़ियाबाद में हुई.

स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागु करने सहित अपनी अन्य मांगों को लेकर हजारों लाखों की संख्या में किसान राजघाट जाना चाहते थे.

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किसानों की प्रमुख मांगे निम्न थी:

  • स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागु हो.
  • एम् एस पी लागत से 50 फ़ीसदी जोड़कर निर्धारित हो.
  • कर्ज में डूबे किसानो के कर्ज पूरी तरह माफ़ किये जाएँ.
  • बिजली की दरें कम की जाये.
  • डीजल सस्ता किया जाये.
  • कृषि यन्त्र जी एस टी के दायरे से बहार किये जाएँ.
  • दस साल पुराने ट्रक्टर से प्रतिबन्ध हटाया जाये.
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा का भुगतान 15 दिन के भीतर हो.
  • फसल खरीद की गारंटी हो.
  • खेतिहर मजदूरों को मनरेगा योजना के अंतर्गत मजदूरी मिले.
  • 60 वर्ष के अधिक किसानो को 5000 प्रतिमाह वृद्धावस्था पेंशन मिले.
  • आत्महत्या करने वाले किसानो के परिवार को घर एवं सरकारी नौकरी मिले.
  • किसानो का बकाया गन्ना भुगतान ब्याज सहित तुरंत करवाया जाये.
  • चीनी की कीमत कम से कम 40 रुपये प्रति किलो हो.
  • किसानो को सिंचाई हेतु नलकूप की बिजली मुफ्त उपलब्ध करवाई जाये.
  • सभी मामलों में भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास अधिनियम 2013 से किया जाये.
  • भूमि अधिग्रहण को केन्द्रीय सूचि में रखते हुए राज्यों को किसान विरोधी कानून बनाने से रोका जाये.
  • कृषि विश्व व्यापर संगठन से बाहर हो.
  • मुक्त व्यापार समझोतों में कृषि पर चर्चा न की जाये.

पब्लिक पोलिटिकल पार्टी (पपोपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लोकेश शीतांशु श्रीवास्तव ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा की किसान विरोधी भाजपा का गाँधी जयंती कार्यक्रम किसानो की पिटाई से प्रारंभ हुआ. क्या किसान दिल्ली आकर लोकतान्त्रिक तरीके से अपना दर्द भी नहीं सुना सकते. कोढ़ पर खाज यह है की लोकतंत्र के स्वम्भू चौथे स्तम्भ मीडिया ने इस समाचार को अपने शीर्षक पृष्ठ पर सरकारी विज्ञापन लेकर छिपाने की कोशिश की. जो की बेहद शर्मनाक है.

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