कर्णाटक ने 2002 में प्रमोशन में आरक्षण कानून बनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवेधानिक करार दिया था. उसका कहना था की प्रमोशन में आरक्षण से पहले यह देखना जरुरी है की पर्याप्त प्रतिनिधित्व है की नहीं. कर्णाटक पहला राज्य है जिसने डेटा एकत्रित करके साबित किया की उसके यहाँ एससी / एसटी पिछड़े हैं. डेटा के आधार पर कर्णाटक के प्रमोशन के कानून को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है.
पब्लिक पोलिटिकल पार्टी (पपोपा) ऐसे प्रत्येक कानून का विरोध करती है जो अपने ही देश में नस्लवाद को बढ़ावा देता है.
