एक राजा था. उसका एक हाथी था. राजा को उसका हाथी बहुत प्रिय था. राजा हाथी की सवारी बड़ी शान से करता था. पर उसके खाने पीने का ध्यान उसके मंत्रियों के जिम्मे था. किसी ने राजा को बताया की शाकाहारी वनस्पति खाने से हाथी कमजोर हो रहा है. राजा ने अचानक रात को आठ बजे ऐलान किया की कल से हाथी को कोई भी वनस्पति नहीं दी जाएगी राज्य की सारी वनस्पति जब्त कर ली जाये और इसके स्थान पर ताकत की दवाइयां दी जाएँ. केवल पचास दिन में हाथी पहले से अधिक शक्तिशाली बन जायेगा. हाथी का पेट वनस्पति खाने का आदि था उसको ताकत की तथाकथित दवाइयां असरकारक नहीं थी. हाथी की सवारी करते करते राजा को ध्यान ही नहीं रहा की हाथी का प्राकृतिक आहार वनस्पति है. एक दिन हाथी कमजोर होकर अधमरा हो गया और फिर पूरा मर गया. राजा ने अपने मंत्रियों को बुलाया और पूछा की हाथी चल क्यूँ नहीं रहा है? किसी मंत्री ने कहा हाथी साँस नहीं ले रहा है, दूसरे ने कहा हाथी सो रहा है, तीसरे ने कहा हाथी बेहोश हो गया है, चौथे ने कहा की हाथी को जुखाम हो गया है. कोई भी मंत्री राजा के भय से यह कहने का साहस नहीं कर पा रहा था की हाथी मर चुका है. राजा का भय जीत गया और हाथी मर गया.
इस कहानी का मोदीमंदी से कोई सम्बन्ध नहीं है
