महाराष्ट्र विधानसभा ने 30 नवम्बर 2018 को एक बिल पारित कर मराठा समुदाय को आरक्षण देने की व्यवस्था भाजपा एवं शिवसेना सरकार ने की थी. 11 जुलाई 2019 को सवर्ण विरोधी भाजपा सरकार ने एक प्रस्ताव पारित कर सामान्य वर्ग (सवर्ण) में विभिन्न पदों पर नियुक्त दो हजार से अधिक कर्मचारियों को हटाने का निर्देश दिया.
सवर्ण विरोधी भाजपा सरकार सवर्णों को नौकरी से हटाकर अवर्णों को नौकरी देना चाहती थी. इसपर 8 नवम्बर 2019 को बॉम्बे उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी. न्यायामूर्ति आर वी मोरे और न्यायमूर्ति एम् एस कार्निक की खंडपीठ ने राज्य सरकार को यथास्थिति बनाये रखने का निर्देश दिया. इस मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर 2019 को है.
पब्लिक पोलिटिकल पार्टी (पपोपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लोकेश शीतांशु श्रीवास्तव ने भाजपा पर आरोप लगते हुए कहा की भाजपा एक सवर्ण विरोधी पार्टी है. वह नयी नौकरियां पैदा करने में नाकाम है इसीलिए वह सवर्णों की नौकरी छीनकर अवर्णों को देने की साजिश करती रहती है. महाराष्ट्र चुनाव में सवर्णों ने भाजपा से बदला ले लिया है. इसीसे भाजपा की महाराष्ट्र में सीटें कम हुई हैं और वह सरकार बनाने में कामयाब नहीं हो पाई है.
