पढ़िए: मोदी और भाजपा दोनों ने कोरोना पर जीत की डींग क्यूँ मारी ?
(लेखक: लोकेश शीतांशु श्रीवास्तव : संस्थापक अध्यक्ष – पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी)
भारत की जनता को गुमराह करना बहुत आसान है. ‘भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है’ की गर्वोक्ति लोकतंत्र की राजनीती को सदैव चलाती ही रखती है. राजनीती कभी नहीं रूकती चाहे जैसी भी परिस्थिति हो और न ही इसे रुकना चाहिए.
वर्तमान में कोरोना काल चल रहा है. संज्ञा और विशेषण दोनों के रूप में. हमें ज्ञात होना चाहिए की राजनीती इंतजार कर सकती है वायरस नहीं. भारत के प्रधानमंत्री मोदी को शायद यह बात मालूम नहीं थी अथवा उनकी प्राथमिकता वायरस से बचाव नहीं बल्कि चुनाव हैं. कोरोना मोदी सरकार का सबसे बड़ा संकट है. अगले कुछ हफ़्तों में यह और अधिक विकराल रूप धारण कर लेगा.
विश्व आर्थिक मंच पर मोदी ने डींग मारी की उन्होंने कोरोना पर विजय प्राप्त कर ली है. अतिरिक्त आत्मविश्वासी नेता के रूप में मोदी ने अपने आप को स्थापित कर लिया है किन्तु कोरोना के सन्दर्भ में यही आत्मविश्वास भारत की जनता पर भारी पड़ रहा है.
अभी कुछ दिनों पूर्व ही मोदी ने देशवासियों को बताया था की कैसे दो टीकों के बल पर भारत ने विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान प्रारंभ किया और न सिर्फ देश बल्कि विश्व के अनेक देशों को भी टीका निर्यात किया जा रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी की पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तो औपचारिक रूप से ही कोरोना पर विजय की घोषणा कर दी है. फरवरी 2021 में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा पारित प्रस्ताव में लिखा गया की ‘यह गर्व से कहा जा सकता है की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काबिल, समझदारी भरे प्रतिबद्ध और दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने न केवल कोविद को परास्त किया बल्कि देश के नागरिकों में आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का भरोसा पैदा किया . दुनिया ने भारत की उपलब्धियों को सराहा और थाली बजाने, दिए जलाने अस्पतालों पर पुष्प वर्षा करने जैसी अपीलों की भी सराहना की. भारत का कद बढ़ा है टीका निर्माण के साथ वह सम्पूर्ण जीत की और अग्रसर है.’
मोदी और भाजपा दोनों की कोरोना समाप्ति की घोषणा ने आम भारतीय जनता को कोरोना के प्रति लापरवाह कर दिया. यही लापरवाही अब भारी पड़ रही है. कुम्भ मेला, विधान सभा एवं स्थानीय चुनाव, विवाह मुहूर्त आदि ने मिलकर कोरोना की स्थिति को और अधिक बिगाड़ दिया है.
लगता है की भाजपा के तथाकथित थिंक टैंक ने मोदी को भेड़िया आया वाली कहानी नहीं सुनायी है अथवा भाजपा का मानना है की भारत में काठ की हांड़ी बार बार चढ़ाई जा सकती है.
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