पब्लिक पॉलीटिकल पार्टी वादा करती है कि यदि वह सरकार में आती है तो सर्वप्रथम देशवासियों को ‘तुरंत न्याय,तुरंत समाधान’ कराने की व्यवस्था करेगी और प्रत्येक केस की समय सीमा निर्धारित करेगी।
देश में न्याय व्यवस्था के चरमराए और लंबित रहने वाले रूप से देशवासी बुरी तरह प्रभावित हैं। अभी फ़िलहाल ही संसद के सदन राज्यसभा में कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा है कि देश की निचली अदालतों में चार करोड़ से अधिक केस पेंडिंग हैं और हाईकोर्ट में लगभग साठ लाख और सुप्रीम कोर्ट में 71हज़ार केस पेंडिंग हैं। देश की अदालतों में जजों के ख़ाली पदों की संख्या भी बहुत अधिक है। दूसरी ओर जजों की कान्फ्रेंस में देशभर में पेंडिंग पड़े मामलों पर चिंता प्रकट की गई थी साथ ही यह भी कहा गया था कि जजों पर काम का भारी बोझ है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमन ने अपने बयान में स्पष्ट कहा है कि अस्पष्टता के कारण मुकदमे बाजी बढ़ी है। कानूनी जानकार और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट एम एल लाहोटी का कहना है कि न्यायालय पर केसों का बोझ बहुत अधिक है। देश की तमाम अदालतों में साढ़े 4 करोड़ से ज्यादा मामले लंबित हैं। इसके पीछे जजों की संख्या कम होने से लेकर सरकारी मुकदमेबाजी तक, अनेक कारण गिनाए जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध एक अप्रैल 2022 तक के आंकड़ों के मुताबिक, कुल 70 हजार 632 केस सुप्रीम कोर्ट में अभी लंबित हैं। वहीं अटॉर्नी जनरल के मुताबिक, देशभर के उच्च न्यायालयों में अभी 42 लाख मामले पेंडिंग है। इनमें 16 लाख केस क्रिमिनल मामलों से जुड़े हैं। देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एन वी रमण ने कहा है कि देशभर में 2016 में 2 करोड़ 65 लाख केस पेंडिंग थे, लेकिन अब लंबित मामलों की संख्या 4 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। इन करोड़ों मामलों की सुनवाई जजों को ही करनी है। लेकिन देश की आबादी और मुकदमों की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए जजों की संख्या काफी कम है। यहां तक कि पहले से मंजूर कई पदों पर भी नियुक्तियां नहीं हो सकी हैं। देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एन वी रमण का कहना है कि साल 2016 में 20 हजार 811 पदों के लिए मंजूरी थी और तब से लेकर अब तक स्वीकृत पदों में केवल 16 फीसदी बढ़ोतरी की गई है। अब देशभर में जजों के कुल स्वीकृत पद 24 हजार 112 हैं। हमारे देश में अभी प्रति 10 लाख लोगों पर 20 जज हैं।
लेकिन सवाल यह है कि इस बोझ को हल्का करने की कोशिश क्यों नहीं की जाति जजों के पदों को तुरंत भरकर पेंडिंग केसों का निपटारा क्यों नहीं किया जाता देश की एक बड़ी संख्या न्याय पाने के लिए लंबा संघर्ष कर रही है और देश की व्यवस्था गूंगी बहरी बनकर मूकदर्शक बनी हुई है ऐसे में पब्लिक पॉलीटिकल पार्टी मांग करती है की न्याय व्यवस्था तुरंत ठीक होनी चाहिए। जो वर्तमान समय में संभव नहीं दिख रहा है लेकिन पब्लिक पॉलीटिकल पार्टी वादा करती है कि यदि वह सरकार में आती है तो सर्वप्रथम देशवासियों को तुरंत न्याय तुरंत समाधान कराने की व्यवस्था करेगी खाली पदों को तुरंत भरा जाएगा और वह विश्वास दिलाती है कि प्रत्येक केस की एक समय सीमा निर्धारित की जाएगी उसी निर्धारित समय सीमा में उस मुकदमे का फैसला होना सुनिश्चित किया जाएगा इससे देशवासियों को समय से न्याय प्राप्त हो सकेगा अन्यथा सभी जानते हैं और इस बात को कई बार विद्वानों ने भी दोहराया है कि समय से न मिलने वाला,या देरी से मिलने वाला न्याय भी, न्याय न मिलने के बराबर है।
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