आजकल देश की राजनीति दिशाहीनता से ग्रसित है राजनीति के अपराधीकरण का मुद्दा काफी पहले से रहा है और ऐसे ही प्रकरण को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत ने इस पर बिचार किया कि किसी आपराधिक मामले में दंडित होने के बाद 2 साल या उससे अधिक की सज़ा मिलने पर नेताओं को जीवन भर के लिए अयोग्य घोषित किया जाए इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नेताओं को दंडित होने के बाद चुनाव लड़ने से हमेशा के लिए अयोग्य घोषित करना कठिन है फिर भी इस याचिका पर विचार किया जाएगा यह कहते हुए याचिका पर सुनवाई दिसंबर तक स्थगित कर दी गई मौजूदा व्यवस्था में दंडित होने पर नेता को 6 वर्ष तक चुनाव लड़ने पर रोक लगी है लेकिन 6 वर्ष बीतने के बाद वह चुनाव लड़ कर किसी भी पद पर पहुंच सकता है मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन की पीठ ने यह टिप्पणी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए की हैं जस्टिस माह की 28 तारीख को रिटायर हो रहे हैं उन्होंने कहा कि हम इस मुद्दे पर विचार सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि यह बहुत अन्याय है कि सामान्य नौकरियों में यदि किसी को 6 महीने की सजा भी हुई हो तो उसे नौकरी नहीं मिलती वही पुलिस सेवा में यदि व्यक्ति भी हो गया हो तो भी उसे नौकरी पर नहीं रखा जाता लेकिन राजनीति में यह लागू नहीं है 2 साल या उससे ज्यादा की सजा पाने पर व्यक्ति 6 वर्ष के लिए अयोग्य रहता है और उसके बाद वह चुनाव लड़कर देश का गृहमंत्री भी बन सकता है उन्होंने कहा कि बराबरी के संवैधानिक सिद्धांत अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 8 (3) के अनुसार 2 साल की या उससे अधिक की सजा होने पर व्यक्ति 6 वर्ष के लिए अयोग्य हो जाएगा इस अवधि में सजा की अवधि शामिल है यानी यदि किसी को 2 साल की सजा हुई है तो वह 8 साल चुनाव नहीं लड़ सकता। इस पर पब्लिक पॉलीटिकल पार्टी के राष्ट्रीय फाउन्डर अध्यक्ष लोकेश शीतांशु श्रीवास्तव ने अपने बयान में कहा है कि वे और उनकी पार्टी राजनीति के अपराधीकरण की विरोधी है लेकिन वह सुप्रीम कोर्ट के हर फैसले का सम्मान करेगी।
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