पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी ने न्यू पेंशन स्कीम को कर्मचारियों के लिए छल पर आधारित बताते हुए कहा कि वह पुरानी पेंशन व्यवस्था को कर्मचारियों के हित में मानते हुए उसे ही लागू कराना चाहती है। यदि पब्लिक पोलिटिकल पार्टी सत्ता में आती है तो वह कर्मचारियों और उनके परिवार के लिए हित वाली पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करेगी। क्योंकि यह न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारियों के लिए अच्छी साबित नहीं हो रही है। रिटायरमेंट से पूर्व अच्छा खासा वेतन पाने वाले अपनी पेंशन को देखकर हैरान हैं। डॉ. आनंद कुमार चतुर्वेदी होम्योपैथिक कॉलेज के प्राचार्य की रिटायरमेंट के समय उनका वेतन 2.24 लाख था, लेकिन पेंशन सिर्फ 13,700 रुपये बनी है। पेंशन निर्धारण के जानकारों का कहना है कि पेंशन के लिए न्यूनतम दस वर्ष की नौकरी जरूरी है। बीस साल की नौकरी पूरी होने पर आखिरी वेतन की पचास प्रतिशत पेंशन बनती है। बीस वर्ष से कम लेकिन दस वर्ष से अधिक नौकरी पूरी होने पर फार्मूले के तहत पेंशन का निर्धारण होता है। यदि आखिरी वेतन 2.24 लाख रुपये और बारह साल की नौकरी है तो पेंशन 67200 रुपये बनेगी। यानी, पुरानी पेंशन के तहत डॉ. आनंद की 67200 पेंशन बननी चाहिए थी। इतना ही नहीं पुरानी पेंशन के तहत महंगाई राहत भी मिलती है, लेकिन एनपीएस में पेंशन में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी। इसलिए पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी इसको कर्मचारिओं के हित में नहीं मानती।
नई पेंशन नीति को स्वयं कर्मचारी भी अपने साथ धोखा ही मानते हैं । पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर कर्मचारी लगातार आंदोलनरत हैं। एनपीएस को लेकर सरकार के दावों को नकारते हुए कर्मचारियों का स्पष्ट कहना है कि सरकार अपनी अच्छी स्कीम वापस ले ले, हमें पुरानी पेंशन ही वापस कर दे।
उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी का कहना है कि एनपीएस का हर स्तर पर विरोध किया जाता रहा है। आगे भी आंदोलन जारी रहेगा। इसी के दबाव में सरकार फंड में अब 14 फीसदी जमा करती है। इसके अलावा सरकार एनपीएस को कर्मचारियों के हित में बताती है, लेकिन यह सिर्फ छलावा है।
उनका कहना है कि पीएफ फंड पर आठ प्रतिशत ब्याज है तो 26 साल की नौकरी पर वेतन का 50 फीसदी पेंशन मिलेगी। जबकि, पीएफ पर ब्याज इससे अधिक है। हमारी यही मांग है कि सरकार अपनी अच्छी पेंशन स्कीम वापस ले ले। कर्मचारियों को न्यूनतम पेंशन की गारंटी मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन के अन्य लाभ भी कर्मचारियों को मिलने चाहिए।
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