कोरोना महामारी के दौरान दुनिया भर में क्रिप्टो करेंसी का प्रयोग बढ़ा है पिछले कुछ सालों में पूरी दुनिया में काफी लोकप्रिय हुई है। हमारे देश में भी इस डिजिटल करेंसी में लोगों की काफी रूचि है। हालांकि पीएम मोदी और वित्त मंत्री समय-समय पर इसे लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं। सरकार क्रिप्टो करेंसी को डिजिटल करेंसी नहीं बल्कि डिजिटल एसेट कहती है। पीएम मोदी ने कई बार क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कहा है कि इसने भ्रष्टाचार, आतंकवाद को फंडिंग जैसे मुद्दे उठाकर दुनिया का ध्यान इस ओर खींचने की कोशिश है। संयुक्त राष्ट्र संघ की ट्रेड बॉडी यूनाइटेड नेशन्स कांफ्रेंस आन ट्रेड एंड डेवलोपमेंट ने विकासशील देशों से क्रिप्टोकरेंसी को कंट्रोल करने की चेतावनी भी दी है। हालांकि क्रिप्टोकरेंसी दुनिया में कोविड से पहले से मौजूद थी लेकिन कोविड-19 महामारी के दौरान इसके इस्तेमाल में जबरदस्त तेजी देखने को मिली। इस समय दुनिया में 19,000 क्रिप्टोकरेंसी मौजूद हैं जबकि 2018 में ये आंकड़ा सिर्फ 1500 पर खड़ा था। पहली क्रिप्टोकरेंसी साल 2009 में वजूद में आई थी। सितंबर, 2019 से जून, 2021 के बीच क्रिप्टोकरेंसी में 2300% बढ़ोतरी देखने को मिली है। इस तेजी में बहुत बड़ा हाथ विकासशील देशों का है। अगर किसी भी देश में क्रिप्टोकरेंसी रखने वाले नागरिकों के प्रतिशत के हिसाब से देखें तो टॉप- 20 में 15 विकासशील देश शामिल हैं। साल 2021 के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया यूक्रेन की कुल जनसंख्या में से 12.7% लोग ऐसे हैं जो क्रिप्टोकरेंसी के मालिक हैं। जो कि दुनिया में सबसे ज्यादा है। दूसरे नंबर पर मौजूद रशिया के 11.9% नागरिक क्रिप्टोकरेंसी के मालिक बने हुए हैं। 10.3% जनसंख्या के साथ वैनेजुएला तीसरे नंबर पर काबिज है। 8.3% जनसंख्या के साथ अमेरिका छठे नंबर पर है तो 7.3% के साथ भारत सातवें नंबर पर काबिज है। मई 2021 तक दुनिया में 450 से ज्यादा क्रिप्टो एक्सचेंज हैं, जो रोजाना लगभग 500 बिलियन डॉलर का व्यापार करते हैं। देशों में मुख्य रूप से दो कारणों से क्रिप्टोकरेंसी में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली है। पहला कारण है, लेन देन में सहूलियत होना। क्रिप्टोकरेंसी के जरिए एक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में अमाउंट ट्रांसफर करना आसान, सस्ता और तेज होता है। कोविड महामारी के दौरान लॉकडाउन के कारण अमाउंट ट्रांसफर करने के पारंपरिक तरीकों को अपनना कठिन हो गया था जिसकी वजह से लोगों ने क्रिप्टोकरेंसी का रूख किया। विकासशील देशों में मिडिल क्लास क्रिप्टोकरेंसी को निवेश का बेहतर विकल्प मान रहा है। संयुक्त राष्ट्र की इस ट्रेड बॉडी ने क्रिप्टो एक्सचेंज, डिजिटल वॉलेट को रैगुलेट करने की सलाह दी है। इस डिजिटल युग में सरकारों को सलाह दी गई है कि वो अपने नागरिकों को सुरक्षित, भरोसेमंद पेमेंट सिस्टम दें। इसलिए क्रिप्टो करेंसी को मान्यता प्रदान करने के लिए पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी कदम उठाएगी। पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष दीपमाला श्रीवास्तव ने अपने बयान में कहा कि उनकी पार्टी सत्ता में आने पर क्रिप्टो करेंसी को पूरी तरह मान्यता देगी

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