सुप्रीम कोर्ट ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के उस प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी जिसके तहत देश में मतदान के लिए मतपत्र की जगह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ईवीएम के इस्तेमाल की शुरुआत हुई थी । जस्टिस एस के कौल और जस्टिस एम एम सुंदरेश की पीठ ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 61-ए को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया, जो चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल से संबंधित है याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता एम एल शर्मा ने संविधान के अनुच्छेद 100 का हवाला दिया और कहा कि यह एक अनिवार्य प्रावधान है। पीठ ने पूछा क्या आप सदन में जो कुछ होता है उसे चुनौती दे रहे हैं या आप आम मतदान को चुनौती दे रहे हैं । आप किस चीज को चुनौती दे रहे हैं। शर्मा ने कहा कि वह अधिनियम की धारा 61-ए को चुनौती दे रहे हैं। पीठ ने कहा हमें इस में कोई मेरिट नहीं मिली इसलिए इसे खारिज किया जाता है। याचिका में केंद्रीय कानून मंत्रालय को एक पक्ष बनाया गया था। इसमें ईवीएम के इस्तेमाल से संबंधित प्रावधान को अमान्य अवैध और असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया गया था। इस संबंध में पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी ने अदालत के आदेश को उचित नहीं बताते हुए कहा कि इस संबंध में सोच-समझकर और वर्तमान स्थिति को देखकर निर्णय लिया जाना चाहिए।

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