उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य की मूल निवासी महिलाओं को 30 फ़ीसदी आरक्षण दिए जाने के शासनादेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की परीक्षा में आरक्षण दिए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी की खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी। सरकार और लोक सेवा आयोग को अक्टूबर तक अपने पक्ष पेश करने को कहा गया है। हरियाणा यूपी की अभिवृत्ति ने हाईकोर्ट में अर्जी दे कर उत्तराखंड मूल की महिलाओं को आरक्षण देने का विरोध किया था । कहा गया कि राज्य लोक सेवा आयोग ने अपने पदों के लिए हुई उत्तराखंड समिति सिविल अधीनस्थ सेवा परीक्षा स्थानीय महिलाओं को अनारक्षित में 30 % आरक्षण दिया है इससे वे आयोग की परीक्षा से बाहर हो गईं। अब जब राज्य सरकारें ये अच्छी तरह से जानती हैं कि आरक्षण मामले की अपनी सीमाएं क्या हैं लेकिन इसके बावजूद वह जनता को धोखे में रखकर ग़लत सलत आरक्षण देतीं हैं जिसपर बाद में हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट रोक लगा देते हैं । पब्लिक पोलिटिकल पार्टी का कहना है कि आरक्षण के मामले में राज्य सरकारें ऐसी नीति नहीं अपनाएं। पार्टी इसका विरोध और निंदा करती है .
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