देश भर में ऐसी कोई भी राजनीतिक पार्टी नहीं है जो चुनाव के दौरान मुफ़्त वाले वादे नहीं करना चाहती है। इस मुद्दे पर बहस करना ज़रूरी है और यह देश हित में भी है। सीजेआई एनवी रमना ने मुफ्त वाले वादों के ख़िलाफ़ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। इस पर बुधवार को भी सुनवाई जारी रहेगी। संभवत इसे बड़ी बैंच को भी भेजा जा सकता है। इससे पहले सुनवाई के दौरान सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार का पक्ष रखा उन्होंने कहा कुछ पार्टियां साड़ियां बांट रही हैं कुछ कहती हैं कि हम सब कुछ फ्री कर देंगे। कल कोई पार्टी यह भी कह सकती है कि हम लोगों से टैक्स ही नहीं लेंगे। प्रॉपर्टी टैक्स भी माफ़ कर देंगे। क्या किसी को ऐसे वादे करने का अधिकार होना चाहिए ।जिन्हें आर्थिक रूप से पूरा ही नहीं किया जा सकता । वहीं याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा कि चुनावों में किए जाने वाले मुफ़्त के वादों से देश दिवालिया होने की स्थिति में है। चुनाव आयोग को इस पर लगाम लगाना चाहिए। इस पर सीजेआई ने कहा कि मान लीजिए कोई वादा कर दे कि चुनाव जीतने पर लोगों को सिंगापुर भेज देंगे तो चुनाव आयोग इस पर कैसे रोक लगा सकता है।

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