लोकतंत्र के महाकुंभ माने जाने वाले चुनावों के चक्र का पहिया उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनावों के रूप में घूमना शुरू हुआ है। जो देश में वर्ष 2024 में होने वाले आम चुनावों के लिए भी एक मील का पत्थर साबित होंगे। और राजनीतिक पार्टियों – दलों के साथ साथ राजनीति की दशा और दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। इसलिए आगामी फतह के लिए भागदौड़ में जुटे सियासी दलों ने इन निकाय चुनावों को सफलतापूर्वक भेदना अपना उद्देश्य बना कर कोशिशें जारी कर दीं हैं। निकाय चुनाव में अपनी ताकत दिखाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाने शुरू हो गए हैं। शहरी मतदाताओं को अपने साथ जोड़कर विरोधी दल बीजेपी को चोट पहुंचाना चाहते हैं तो भाजपा इन सबके बीच से निकलकर अपना परचम लहराना चाहती है। उत्तर प्रदेश में नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत के चुनाव की तैयारियां तो पिछले काफ़ी समय से चल रही थीं लेकिन चुनाव होने की घोषणा के साथ ही इसमें तेज़ी आ गई है। चुनावी रणभेरी के साथ ही उम्मीदवारी के घोड़े दौड़ने लग गए हैं। सभी बड़े राजनीतिक दलों ने इन चुनावों के लिए माथापच्ची इसलिए शुरू की है कि वह जानतें हैं कि यही जन आधार उन्हें विधानसभा और लोकसभा चुनावों तक लाभ पहुंचाएगा। पहली बार प्रदेश में आम आदमी पार्टी ने हाथ पांव मारना शुरू किया है तो सियासी वजूद के लिए जूझ रही कांग्रेस ने निकाय चुनाव में लोगों को जोड़ने के लिए अपने सिंबल पर चुनाव लड़ना तय किया है। पहली बार पार्टी ने दावेदारों से आवेदन के साथ समर्थक और कार्यकर्ताओं की सूची और सामाजिक और राजनीतिक मांगों का भी ब्यूरो तलब किया है। भारतीय जनता पार्टी प्रदेश से लेकर बूथ स्तर तक मीटिंग कर रही है। जबकि समाजवादी पूरे जोश के साथ इस चुनाव को लड़ने का दम भर रही है।
देश हित में और चुनावों में सवर्ण वर्ग सहित सभी को आदर्श प्रशासन देने के लिए पब्लिक पोलिटिकल पार्टी ने इन निकाय चुनावों के लिए उम्मीदवारों से आवेदन आमंत्रित किए हैं।
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