भारतीय जनता पार्टी की हरकतें भारतीय राजनीति में हलचलें मचा रहीं हैं। राजनीति के आदर्शों,मूल्यों और संस्कारों को ताक़ पर रख कर अपनी घटिया और तुच्छ राजनीति चलाने वाली भाजपा लोकतांत्रिक ढंग से चुनी राज्य सरकारों तक को गिराने या बदलने का हर हथकंडा या गेम खेल रही है। और इसके लिए देश की जनता के खून पसीने की कमाई के करोड़ो करोड़ो रूपयों को लुटा रही है। राजनीति को ख़रीद फ़रोख्त का अवैध व्यापार बनाने वाली भाजपा ने भारतीय राजनीति को ऐसा कलंकित किया है कि कोई भाजपा को राज्य सरकारों की सीरीयल किलर कह रहा है तो कोई उसकी हरकतों की तुलना वैश्विक आतंकी संगठन अलकायदा से कर रहा है। यूं तो भाजपा जिस दिन से केन्द्र की सत्ता में आई है उसी दिन से उसने धूर्तता और मक्कारी के ऐसे कारनामों को अंजाम दिया है कि राजनीति के आदर्शों को शर्मशार होना पड़ा है। लोकतांत्रिक तरीक़े से चुनी जाने वाली राज्य सरकारों को गिराने या बदलने के लिए घिनौने षड्यन्त्र रचने वाली भाजपा आज उस समय बिल्कुल बेनक़ाब हो कर रह गयी जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दावा किया कि अगर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने देश में अन्य दलों की सरकारें गिराने पर 6,300 करोड़ रुपये खर्च नहीं किए होते तो केंद्र सरकार को खाद्य सामग्री पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) नहीं लगाना पड़ता। केजरीवाल ने ही एक दिन पहले भाजपा को “राज्य सरकारों की सीरीयल किलर” कहा। दिल्ली विधानसभा में अपने संबोधन के दौरान केजरीवाल ने कहा कि भाजपा पेट्रोल और डीजल की मूलयवृद्धि और जीएसटी के जरिये एकत्र किए गए पैसों से विधायकों को खरीद रही है। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा कि लोग महंगाई से परेशान हैं और भाजपा करोड़ों रुपये खर्च कर अन्य दलों के विधायकों को खरीद रही है तथा राज्यों में सरकारें गिरा रही है। सरकारें गिराने पर अभी तक इन्होंने 6,300 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। अगर ये सरकारें न गिराते तो गेहूं, चावल, छाछ आदि पर जीएसटी न लगाना पड़ता। लोगों को महंगाई का सामना न करना पड़ता।”
आपको बता दें कि अभी हाल फ़िलहाल में ही भारतीय जनता पार्टी ने छह राज्यों की ग़ैर भाजपा सरकारों को गिराने या बदलने के कुत्सित प्रयास कियें हैं जिनमें महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को लेकर सरकार को गिरा दिया गया। आसाम में हेमंत बिश्वशर्मा को मिला कर खेल खेला गया वहां पहले वाटर घोटाले का आरोप लगाया और फिर अपने साथ मिलाकर मुख्यमंत्री बना दिया। पश्चिम बंगाल में मुकुल राय को जिस दिन ईडी का समन मिला उसके एक हफ़्ते के बाद उन्हें पार्टी में मिलाकर पार्टी का पदाधिकारी बना लिया गया। झारखंड में हेमंत सरकार गिराने के लिए आपरेशन लोटस चलाया गया जिसे पवन खेड़ा ने आपरेशन कीचड़ का नाम दिया। दिल्ली में केजरीवाल सरकार के ख़िलाफ़ विधायकों को तोड़ने यानि खरीदने का गेम किया गया। और नाम दिया जा रहा है आपरेशन लोटस। भाजपा के इन कुत्सित प्रयासों और घिनौने हथकंडो ने एक बार फिर राजनीतिक क्षेत्रों में हलचल बढ़ा कर राजनीति की दशा और दिशा पर बहस तेज़ कर दी है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना’ में ऑपरेशन लोटस’ की तुलना वैश्विक आतंकी संगठन अलकायदा से की है। और भाजपा को आतंकवादी संगठन करार दिया है। महाराष्ट्र में सत्ता से बेदखल हुई शिवसेना ने कहा कि भाजपा ने भगवान विष्णु के प्रिय पुष्प ‘कमल’ को बदनाम कर दहशत पैदा करने वाला बना दिया है। दिल्ली की आप सरकार को गिराने के लिए शुरू किया गया ‘ऑपरेशन लोटस’ फेल हो गया और भाजपा की पोल खुल गई है। हालिया सियासी घटनाक्रमों के माध्यम से भाजपा की तुच्छ राजनीति बेनक़ाब हुई है।जिसने राजनीति के मूल्यों और आदर्शों को कलंकित ही किया है।
देश के हालातों को संभ्रमित होने की बात शरद पवार ने कही है। उन्होंने बताया है कि ऐसी कई संभ्रमित बातों की वर्तमान में बाढ़ आ गई है। सरकारें चुनकर लाने की बजाय विरोधियों की सरकारों को गिराना, पार्टी तोड़ना ऐसा जो चल रहा है, इसकी वजह से विष्णु का पसंदीदा फूल ‘कमल’ बदनाम हो गया है। ऑपरेशन लोटस’ अर्थात ‘कमल’ अलकायदा की तरह दहशतवादी शब्द बन गया है। दिल्ली की सरकार को गिराने के लिए शुरू किया गया ऑपरेशन कमल फेल हो गया है। भाजपा की पोल खुल गई है। ऐसी घोषणा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने की है। बिहार में भी ‘ऑपरेशन कमल’ नहीं चला तथा तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.सी. चंद्रशेखर राव ने अमित शाह को खुली चुनौती दी कि ईडी, सीबीआई आदि लगाकर मेरी सरकार गिराकर दिखाओ। महाराष्ट्र में ईडी के डर से शिंदे गुट घुटनों के बल बैठ गया, ऐसे अन्य राज्यों में कोई भी झुकने को तैयार नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम दिल्ली राज्य में घटित हुआ है। ईडी, सीबीआई का इस्तेमाल करके केजरीवाल की सरकार को गिराने का प्रयास चल रहा है। दिल्ली सरकार की शराब नीति, उनकी आबकारी नीति, उनके द्वारा मद्य विक्रेताओं को दिए गए ठेके, यह भाजपा के दृष्टिकोण से आलोचना का विषय होगा, परंतु यह निर्णय व्यक्तिगत नहीं था, बल्कि पूरी सरकार का था और इसमें दिल्ली के उपराज्यपाल का भी समावेश होता है, लेकिन कैबिनेट के निर्णय का ठीकरा उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर फोड़कर उनके खिलाफ सीबीआई ने छापेमारी की। उन्हें इस प्रकरण में एक नंबर का आरोपी बनाया और यह प्रकरण अब ईडी के पास मतलब भाजपा की विशेष शाखा के सुपुर्द कर दिया गया। किसी अपराधी की तरह उनके खिलाफ ‘लुकआउट’ नोटिस जारी करके जनता द्वारा चुनी गई सरकार की तौहीन की गई। भाजपा और उनके सत्तासीन पदाधिकारियो के बारे में कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार और उनके प्रमुखों को 2024 को लेकर डर लग रहा है। यह डर केजरीवाल, ममता, उद्धव ठाकरे, नीतीश कुमार और शरद पवार का है। इन प्रमुखों को अपने साये से भी डर लगता है। इसलिए नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान के भी पीछे पड़ गए, ऐसा लगता है। इतना बड़ा बहुमत होने के बावजूद इन लोगों को डर क्यों लगता है? इसका एक ही उत्तर है उनका बहुमत पवित्र नहीं है। वह चुराया गया है। हड़पा गया है।
भाजपा अपनी धूर्तता से राज्य सरकारों को निशाना बनाती रही है और बना रही है। और प्रत्येक गैर भाजपा वाली राज्य सरकारें उसके निशाने पर हैं। वह तरह तरह के हथकंडे अपनाकर कमियां निकालकर या सरकारी एजेंसियों के छापों के डर से अपना वर्चस्व स्थापित करने की कोशिशें कर रही है। ताकि किसी भी तरह से वह राज्यों में सिर्फ़ अपनी सरकार या अपने समर्थक रखे। हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने बिहार में झटका भी खाया है तब से वह अपना हर कदम फूंक फूंक कर रख रही है, मगर अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रही है। दिल्ली की सरकार और झारखंड की राज्य सरकार के साथ बड़ा अवैध खेला किया जा रहा है। किसी भी तरह सोरेन को फंसाने का षड्यन्त्र जारी है भाजपा की धूर्तता भरी कुत्सित राजनीति की निंदा चारों तरफ हो रही। उसे अलकायदा जैसा आतंकी कार्य करने वाला कहा गया है मगर फिर भी भारतीय राजनीति में भाजपाई आपरेशन कीचड़ जारी है।
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