देश भर में 2024 में होने वाले आम लोकसभा चुनावों के लिए राजनीतिक दलों ने अपनी गतिविधियां तेज़ कर दी हैं। ऐसे में ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी 2024 में उत्तर प्रदेश की फूलपुर, मिर्ज़ापुर, अंबेडकरनगर की फतेहपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने की ख़बर से खलबली मच गई हैं। राजनीतिक क़यास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले समय में राजनीति कई करवटें बदलेगी और कई उलटफेर होंगे। ऐसे में पब्लिक पॉलीटिकल पार्टी ने भी अबकी बार सवर्ण सरकार बनाने के उद्देश्यों से अधिक से अधिक चुनावी क्षेत्रों से चुनाव लड़ने की घोषणा की है।
चूंकि राजनीति में कहा जाता है कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है और नीतीश कुमार भी अब देश के नेता बनना चाहते हैं और उनके यूपी में आने की ख़बर चर्चाओं में छा गई है। जदयू नेता भाजपा के ख़िलाफ़, अटल बिहारी वाजपेई के लखनऊ, व पीएम मोदी की काशी से भी ताल ठोक सकते थे लेकिन सिर्फ़ चार ही सीटों के प्रस्ताव के पीछे राजनीति यह मानी जा रही है कि सपा को साथ लेकर कुर्मी यादव और मुस्लिम वोट बैंक के गठजोड़ से संभावित सुरक्षित मानते हैं। सत्ता के विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास में नीतीश कुमार जुटे हुए हैं और पिछले दिनों नीतीश ने सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव और मुखिया अखिलेश यादव से भेंट की, तबसे यही माना जाने लगा कि सारा विपक्ष एकजुट हों ना हों लेकिन 2024 में यूपी में कम से कम सपा और जदयू मिलकर चुनाव लड़ेंगे।
जदयू राष्ट्रीय नेतृत्व को प्रस्ताव दिया गया है कि नीतीश कुमार यूपी की फूलपुर, मिर्ज़ापुर अंबेडकरनगर में फतेहपुर सीट से चुनाव लड़े तो बेहतर होगा। बहुत संभव है कि नीतीश इसके लिए राज़ी भी हो जाएं। दरअसल इन चारों सीटों पर कुर्मी बिरादरी का अच्छा प्रभाव है यदि सपा के साथ गठबंधन होता है तो कुर्मी के साथ इन्हें यादव और मुस्लिम वोट बैंक बोनस में मिल जाएगा।
जदयू के प्रदेश प्रवक्ता केके त्रिपाठी मानते हैं कि यादव कुर्मी और मुस्लिम की लामबंदी 20 से 25 सीटों पर प्रभाव डालेगी। राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि जातिगत वोट बैंक की बैसाखी के सहारे नीतीश पीएम पद की दौड़ में बढ़ना चाहते हैं। उत्तर प्रदेश में जदयू को भारतीय जनता पार्टी भले ही गठबंधन के बावजूद खोटा सिक्का मानकर एक भी सीट देने से बचती रही हो लेकिन अखिलेश यादव जातीय रणनीति का यह सिक्का उछालना चाहते हैं। किसी भी चुनाव में जातीय समीकरणों को कभी भी नज़र अंदाज़ नहीं किया गया है इसलिए लोकसभा का आम चुनाव भी इससे ख़ाली नहीं होगा। ऐसे में पब्लिक पॉलीटिकल पार्टी भी चुनाव रणक्षेत्र में कूदने की ताल ठोक चुकी है। और पार्टी प्रवक्ता ने कहा है कि आज भी सवर्णों का ध्यान रखने वाली कोई पार्टी नहीं है। सवर्णों का ध्यान रखने वाली केवल पब्लिक पॉलीटिकल पार्टी है और पब्लिक पोलिटिकल पार्टी 2024 के आम लोकसभा चुनावों में सबसे अधिक चुनाव क्षेत्रों से चुनाव लड़ेगी।
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