नई दिल्ली।
देश में किसानों की दशा भिखारियों से भी बदतर है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 4.17 लाख भिखारी हैं। एक विश्वविद्यालय और एक स्वयंसेवी संस्था के संयुक्त अध्ययन के अनुसार देश के लोग भिखारियों को हर साल लगभग 2900 करोड़ रुपए भीख में देते हैं। एनएसएसओ की रिपोर्ट के अनुसार एक औसत किसान परिवार की कुल आय 10218 रुपए प्रतिमाह है। जिसमें खेती से 3798 मिलते हैं। शेष आय मजदूरी , पगार, पशुपालन कृषि व्यवसाय और ज़मीन किराए से होती है। संयुक्त अध्ययन में पाया गया है कि मध्यम वर्ग भीख देना अधिक पसंद करता है। बजाय किसी समाजसेवी संस्था को लोकहित में दान करने के। दानदाता 70% धार्मिक संस्थाओं, मंदिरों को दान देने में विश्वास रखते हैं और 12% भिखारियों को देने में। ग़ैर धार्मिक संस्थाओं को केवल 5% दान मिलता है। हर वर्ष इन तमाम मदों में लगभग 23. 70 करोड़ रुपए दान दिए जाते हैं‌। जनकल्याण में लगी स्वयंसेवी संस्थाओं का सीधे धार्मिक आस्थाओं से न जुड़ा होना शायद आम दानकर्ता को उदासीन बनाता है। इस संयुक्त अध्ययन के आधार पर देश में भिखारियों की आमदनी अधिक है बमुकाबले किसानों के।

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