राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर प्रतिबंध की मांग एक बार फिर उठने लगी है। हालांकि अपने 93 साल के सफ़र में कई उपलब्धियां और विवाद भी उसके हिस्से में रहे हैं। भारत वर्ष में आरएसएस पर प्रतिबंध भी लगे। संघ पर एक बार नहीं बल्कि तीन बार प्रतिबंध लगाया जा चुका है। इसके बाद भी आरएसएस लगातार अपने आपको आगे बढ़ाता रहा और संवाद के जरिए लोगों से जुड़ता रहा। यही वजह है कि संघ आज एक बड़ा स्वयंसेवी संगठन बन गया है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना केशव बलराम हेडगेवार ने की थी। भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लक्ष्य के साथ 27 सितंबर 1925 को विजयदशमी के दिन आरएसएस की स्थापना की गई थी। लेकिन आज़ादी मिले एक साल भी नहीं गुज़रा था कि उसे प्रतिंबध का सामना करना पड़ा।
30 जनवरी, 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। दरअसल गांधी की हत्या को संघ से जोड़कर देखा गया क्योंकि नाथूराम गोडसे, संघ और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक भूतपूर्व स्वयंसेवक थे। संघ के दूसरे सरसंघचालक गुरु गोलवलकर को बंदी बनाया गया। 18 महीने तक संघ पर प्रतिबंध लगा रहा। बाद में एक जाँच समिति की रिपोर्ट आ जाने के बाद संघ को इस आरोप से बरी किया और प्रतिबंध समाप्त कर दिया गया।
हालांकि 11 जुलाई, 1949 को तब हटा जब देश के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की शर्तें तत्कालीन संघ प्रमुख माधवराव सदाशिव गोलवलकर ने मान लीं। इस शर्त के साथ प्रतिबंध हटाया गया कि संघ अपना संविधान बनाए और उसे प्रकाशित करे, जिसमें लोकतांत्रिक ढंग से चुनाव होंगे। इसके साथ ही वह राजनीतिक गतिविधियों से पूरी तरह से दूर रहेगा और सांस्कृतिक गतिविधियों में ही लिप्त रहेगा। संघ हिंसा और गोपनीयता का त्याग करे। भारत के ध्वज और संविधान के प्रति वफादार रहने की शपथ ले और लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास रखे।
संघ को दूसरी बार प्रतिबंध का सामना आपातकाल के दौरान करना पड़ा। 1975 में इंदिरा गांधी ने जब आपातकाल लगाया तो आरएसएस के लोगों ने इसका काफी विरोध किया था। इसके चलते बड़ी तादाद में स्वयंसेवकों को जेल भेज दिया गया था। आरएसएस पर दो साल तक पाबंदी लगी रही। आपातकाल के बाद जब चुनाव की घोषणा हुई तो जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हो गया। 1977 में जनता पार्टी की सत्ता में आई तो संघ पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया।
संघ पर तीसरी बार प्रतिबंध 1992 में लगा। इस पर आरएसएस की पाबंदी की वजह अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाने में भूमिका थी। इस बार 6 महीने के लिए उसे प्रतिबंध झेलना पड़ा। आरएसएस का दावा है कि उसके एक करोड़ से ज्यादा प्रशिक्षित सदस्य हैं। संघ परिवार में 80 से ज्यादा समविचारी या आनुषांगिक संगठन हैं। दुनिया के करीब 40 देशों में संघ सक्रिय है। मौजूदा समय में संघ की 56 हजार 569 दैनिक शाखाएं लगती हैं। करीब 13 हज़ार 847 साप्ताहिक मंडली और 9 हज़ार मासिक शाखाएं भी हैं। संघ में सदस्यों का पंजीकरण नहीं होता। ऐसे में शाखाओं में उपस्थिति के आधार पर अनुमान है कि फिलहाल 50 लाख से ज्यादा स्वयंसेवक नियमित रूप से शाखाओं में आते हैं। देश की हर तहसील और करीब 55 हज़ार गांवों में संघ की शाखाएं लग रही हैं।
देश में पीएफआई पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके साथ ही लालू प्रसाद यादव सहित कई अन्य ने आरएसएस पर भी प्रतिबंध की मांग कर डाली है।
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