चंडीगढ़/ नई दिल्ली
हरियाणा की सुनारिया जेल में सज़ा काट रहे डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की चालीस दिन की पैरोल अर्ज़ी स्वीकार कर ली गई, यह कदम आदमपुर विधान सभा उप चुनाव से ठीक पहले उठाया गया है। आदमपुर में तीन नवंबर को उपचुनाव होने हैं इससे पहले डेरा प्रमुख को जून में एक महीने की पैरोल पर रिहा किया गया था। 2021 में राम रहीम तीन बार पैरोल पर बाहर आ चुके हैं जबकि इस साल 2 बार डेरा प्रमुख फरवरी में 21 दिन और जून महीने जेल से बाहर रहे। जेल अधिकारियों के अनुसार वे 31 दिसंबर 2022 से पहले कम से कम 40 दिनों को पेट्रोल हासिल कर सकता है अगर कोई अपराधी जेल में अपने निर्धारित साल पूरे कर लेता है तो वह 1 साल में 90 दिन के लिए जेल से बाहर रह सकता है। गुरमीत राम रहीम दुष्कर्म के अलावा हत्या और हत्या की साज़िश के अपराध में सज़ा भुगत रहे हैं। अब ठीक उप चुनाव से पहले उन्हें पैरोल दिया जाना अनेक सवाल खड़े कर रहा है और कहा जा रहा है कि
लगता है पैरोल देने का नियम राम रहीम जैसे अपराधियों के लिए ही बनाया गया है। और यह कोई संयोग नहीं बल्कि प्रयोग है कि राज्य सरकार जिस पर भाजपा काबिज है उसने चुनाव के कुछ दिन पहले ही राम रहीम को पैरोल दी है, अगर नियम अनुसार चला जाता है और यह नियम कानून सुविधा औरों के लिए भी है तो फ़िर पांच क़ैदी ऐसे बताए जाएं जिनको इस प्रकार की पैरोल मिली हो, ताकि पत्रकार वहां जाकर निष्पक्षता से जांच कर सकें और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए।

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