नई दिल्ली।
सवर्णों की पब्लिक पॉलीटिकल पार्टी ने कहा है कि अनुसूचित जातियों (एससी) में वे लोग आते हैं जो जातियों के आधार पर ऐतिहासिक रूप से वंचित रहे हैं, जबकि अब्राहमी धर्मों में दावा किया जाता है कि उनमें कोई जाति भेद नहीं है, इसलिए इन धर्मों से संबंध रखने वालों को आरक्षण नहीं दिया जा सकता।
पब्लिक पॉलीटिकल पार्टी के प्रवक्ता ने बताया है कि पार्टी के फाउंडर लोकेश शितांशू श्रीवास्तव और राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती दीपमाला श्रीवास्तव ने अपने एक संयुक्त बयान में बताया है कि हाल ही में केन्द्र सरकार ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन वाली अध्यक्षता में आयोग का गठन किया था जो उन लोगों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के मामले की जांच पड़ताल करेंगे जिनका दावा है कि वह ऐतिहासिक रूप से अनुसूचित जाति से जुड़े रहे हैं लेकिन राष्ट्रपति के आदेशों में उल्लिखित धर्मों के अलावा किसी अन्य धर्म को अपना लिया है। संविधान (अनुसूचित जाति ) आदेश 1950 (समय समय पर संशोधित) कहता है कि हिंदू या सिख धर्म या बौद्ध धर्म के अलावा किसी अन्य धर्म को मानने वाले व्यक्ति को अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जा सकता है। आदेश 1950 में यह स्पष्ट करते हुए संवैधानिक आदेश जारी किया गया था कि केवल हिंदू अनुसूचित जातियों को ही आरक्षण की सुविधा मिलेगी। इसके बावजूद भी ईसाई मिशनरी और इस्लामी संगठन धर्मांतरण करने वालों को इसका लाभ देने की तर्कहीन मांग कर रहे हैं। हम अनुसूचित जातियों के संवैधानिक अधिकार को छीनने नहीं देंगे।
अब्राहमी धर्मों में दावा किया जाता है कि उनमें कोई जाति भेद नहीं है इसीलिए इन धर्मों से संबंध रखने वालों को आरक्षण नहीं दिया जा सकता। पब्लिक पॉलीटिकल पार्टी स्पष्ट कहना चाहती है कि अब्राहमी धर्मों से संबंध रखने वालों को आरक्षण नहीं मिलना चाहिए।

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