नई दिल्ली।
उत्तर प्रदेश के मेरठ और हापुड़ जिला प्रशासन की ओर से गंगा स्नान मेले में भैंसा-बोगी ले जाने पर रोक के फैसले को एक ओर भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने ग़लत करार दिया है तो दूसरी ओर पब्लिक पोलिटिकल पार्टी ने कहा है कि दोनों ज़िलों का प्रशासन प्राचीन संस्कृति के साथ छेड़छाड़ का प्रयास कर रहा है। जो सरासर ग़लत है। किसान के ट्रैक्टर पर प्रतिबंध लगाया गया। अब लंपी बीमारी की बात कर दोनों ज़िलों का प्रशासन भैंसा-बोगी पर रोक लगा रहा है। जो बेहद निंदनीय है। मेले भारतीय संस्कृति की पहचान है। ग्रामीण क्षेत्र के लोग सदियों से मेलों में अपने-अपने वाहनों पर सवार होकर जाते हैं। सिर्फ यूपी के ही नहीं, बल्कि हरियाणा के किसान भी भैंसा-बोगी पर गंगा स्नान में आते रहे हैं। किसान अपने वाहन पर शान से चलता रहा है।
ज्ञात रहे कि पांच से नौ नवंबर तक गंगा स्नान मेले का आयोजन किया जा रहा है। आठ नवंबर को मुख्य स्नान होगा। मेले में इस बार श्रद्धालु भैंसा-बोगी से नहीं जा पाएंगे। पशुओं में लंपी बीमारी के कारण यह निर्णय लिया गया है। मेरठ के गढ़मुक्तेश्वर में कार्तिक पूर्णिमा मेले मे जिलाधिकारी हापुड़ द्वारा भेजे गए पत्र के संबंध में जिलाधिकारी दीपक मीणा ने बताया कि हापुड़ सहित अन्य सभी जनपदो में गौवंशीय एवं भैंसवंशीय पशुओं में घातक वायरल बीमारी लम्पी स्किन डिजीज का प्रकोप फैला हुआ है। इस बीमारी में पशुओं की त्वचा पर गांठनुमा फफोले व घांव हो जाते हैं। पशु को तेज़ बुखार बना रहता है एवं पशु चारा खाना बंद कर देता है। गाभिन पशुओं में गर्भपात हो जाता है तथा पशु बांझपन के शिकार हो जाते हैं। बीमारी 3 से 6 सप्ताह तक बनी रहती है तथा ईलाज के बाद पूर्ण स्वस्थ होने में 3 से 4 माह का समय लगता है।
पब्लिक पोलिटिकल पार्टी ने अपने एक बयान में कहा है कि किसान का सारा काम भैंसा बुग्गी से होता है और वह गंगा स्नान मेले में अपनी इसी सवारी से जाता रहा है लेकिन अब उस पर रोक लगाई जा रही है जो ठीक नहीं है। बीमारी के इलाज के प्रयास होने चाहिएं न कि रोक लगनी चाहिए।
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