मुंबई।
जाति भारतीय राजनीति की रग रग में समाई हुई है कहने को कितना कुछ ही कहा जाता रहे लेकिन इस सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता कि जाति ही सामाजिक और राजनीतिक फ़ैसलों के इर्दगिर्द घूमती है। एक बार फिर
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने जाति की महत्ता बयान करते हुए कहा है कि आज़ादी के ठीक बाद के दशक की तुलना में आज के समय में भारतीय समाज में जाति की अधिक चेतना है। टाटा लिटरेचर फेस्टिवल में ‘अंबेडकर की खोई हुई विरासत’ विषय पर एक परिचर्चा में शशि थरूर ने कहा कि प्रत्येक जाति अपनी अस्मिता को लेकर सचेत है और यह अस्मिता राजनीतिक रूप से एकजुट करने का ज़रिया बन गई है। थरूर की पुस्तक “अंबेडकर : ए लाइफ” का विमोचन कार्यक्रम के दौरान किया गया। यह पुस्तक डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जीवनी है। थरूर ने कहा कि अंबेडकर जाति प्रथा को पूरी तरह से ख़त्म करना चाहते थे और यह महसूस कर शायद वे भयभीत हो गए कि जाति प्रथा राजनीतिक दलों में कहीं अधिक गहरी जड़ें जमाए हुए है। तिरुवनंतपुरम के सांसद ने एक श्रोता के प्रश्न का उत्तर देते हुए यह उल्लेख किया कि भेदभाव या छुआछूत के विरोधी राजनीतिक दल जाति के नाम पर वोट नहीं मांगते। उन्होंने कहा जाति प्रथा ख़त्म होने से कोसों दूर है।
#PPP
#PublicPoliticalParty
#LokeshShitanshuShrivastava
#DeepmalaSrivastva
#casteindianpolitics
#social
#CongressMPShashiTharoor
#TataLiteratureFestival
#alife
#bhimraoambedkar
#Thiruvananthapuram
