एक राज्य के आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी दूसरे राज्य में उसी वर्ग के तहत आरक्षण का लाभ नहीं लेने के लिए पात्र नहीं हो जाते। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने यह व्यवस्था देते हुए स्पष्ट किया कि युवक से शादी करने पर युवक की जाति के आधार पर उसकी पत्नी आरक्षण का लाभ लेने का हक नहीं रखती है किसी विशेष जाति या जनजाति की घोषणा के लिए प्रवासी राज्य में विभिन्न मानदंड हो सकता है भले ही एक जाति को प्रवासी राज्यों में अनुसूचित जाति, जनजाति या ओबीसी के रूप में अधिसूचित किया गया है फिर भी किसी भी सूरत में इसका लाभ नहीं मिल सकता है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने प्रार्थी प्रियंका की याचिकाओं को खारिज करते हुए यह निर्णय सुनाया। याचिकाकर्ता मूल रूप से हरियाणा राज्य में गुज्जर समुदाय से संबंध रखती है। गुज्जर समुदाय को हरियाणा में अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा दिया गया है। याचिकाकर्ता ने हिमाचल प्रदेश के गुज्जर समुदाय में शादी की हिमाचल में गुज्जर समुदाय को अनुसूचित जनजाति की सूची में डाला गया है याचिकाकर्ता ने अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित भाषा अध्यापक के पद के लिए आवेदन किया था।
#PPP
#PublicPoliticalParty
#LokeshShitanshuShrivastava
#DeepmalaSrivastva
#reservedcategory
#HimachalPradeshHighCourt
#TarlokSinghChauhan
#JusticeVirenderSingh
#Gujjarcommunity
