नई दिल्ली।
दल बदल भारतीय राजनीति का एक कलंकित अध्याय बन चुका है और देखने में आता है कि चुनाव के समय दलबदल करके टिकट प्राप्त कर लिया जाता है इसलिए दल बदल कानून में नया प्रावधान जोड़ने की बात कही जा रही है। जिसका पब्लिक पोलिटिकल पार्टी ने स्वागत और समर्थन किया है। कहा गया है कि इस कानून के दायरे में पंजीकृत दलों के पदाधिकारियों को शामिल किया जाएगा भले ही वे निर्वाचित प्रतिनिधि न हों, अगर पार्टी पदाधिकारी चुनाव के वक्त दल बदलते हैं तो वे अगले 5 साल चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। सूत्रों के मुताबिक कानून मंत्रालय आगामी बजट सत्र के दौरान यह संशोधन करने की तैयारी में है। दल बदल कानून में संशोधन का उद्देश्य चुनाव के समय पार्टी बदलकर टिकट पाने की परिपाटी पर अंकुश लगाना है। कानून मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और स्थानीय दल चुनाव के समय दलबदल को लेकर चिंता जताते रहे हैं। पार्टियों का कहना है कि यह खरीद-फरोख्त के साथ ही स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के ख़िलाफ़ है। भय या लालच की वजह से पार्टी बदलने की परंपरा कुछ वर्षों में अधिक बढ़ी है। अब विधि मंत्रालय ऐसा प्रावधान करने जा रहा है जिसमें निर्वाचित प्रतिनिधि और पार्टी पदाधिकारी विधानसभा या लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने में 6 महीने से कम समय बचने पर पार्टी नहीं बदल सकेंगे। कानून में संशोधन होने के बाद यदि कोई पदाधिकारी ऐसा करता है तो 5 साल किसी दूसरी पार्टी के सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ सकेगा। हालांकि निर्दलीय चुनाव लड़ने की छूट रहेगी। गौरतलब है कि राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों की सूची निर्वाचन आयोग के पास रहती है। किसी का पद बदला जाता है तो उसकी सूचना सभी दलों को चुनाव के दौरान बागी उम्मीदवारों से परेशानी होती है। कई बार टिकट न मिलने पर पदाधिकारी और निर्वाचित प्रतिनिधि दूसरे दल में चले जाते हैं।
पब्लिक पोलिटिकल पार्टी ने ऐसे प्रयासों की प्रशंसा करते हुए इसका समर्थन और स्वागत किया है।
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