नई दिल्ली।
मद्रास उच्च न्यायालय में एक याचिका में सवाल किया गया है कि यह कैसे संभव है कि आयकर के लिए 2.5 लाख रुपए की वार्षिक आय आधार है जब कि सर्वोच्च न्यायालय ने ₹8 लाख से कम की वार्षिक आय को आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग में शामिल करने के फ़ैसले को बरकरार रखा है। हाईकोर्ट ने दायर याचिका को लेकर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि जब ₹8 लाख से कम आय वाले लोग ईडब्ल्यूएस में हैं तो ढाई लाख रुपए से ज़्यादा आय वाले लोगों को आयकर क्यों देना चाहिए। मद्रास हाईकोर्ट ने इसी पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति आर महादेवन और न्यायमूर्ति सत्यनारायण प्रसाद की खंडपीठ ने केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय वित्त कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय को नोटिस देने का आदेश दिया और मामले को 4 सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया। हाई कोर्ट में यह याचिका डीएमके पार्टी की एसेट प्रोटेक्शन काउंसिल के कुन्नूर सीनिवासन ने की है। याचिका करने वाले ने हाल में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को आधार बनाया है। जनहित अभियान बनाम भारत सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लोगों के लिए 10% आरक्षण की व्यवस्था को सही ठहराया है। श्रीनिवासन ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह साबित हो गया है कि 8 लाख से कम सालाना आय वाले गरीब हैं। ऐसे लोगों से इनकम टैक्स वसूलना ठीक नहीं है। यह ऐसे लोग हैं जो पहले से ही शिक्षा और अन्य क्षेत्र में पिछड़ रहे हैं।
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