नई दिल्ली।
सवर्ण समाज और देश हित वाली पब्लिक पोलिटिकल पार्टी ने भाजपा की बदले की भावना वाली राजनीति और हरकतों की घोर निन्दा करते हुए कहा है कि भारतीय जनता पार्टी बदले की राजनीति करती है। वह जब सत्ता में होती है तो विपक्षी नेताओं को किसी न किसी बहाने फंसाने का कार्य करती है। उन्हें सज़ा दिलाने की कोशिश करती है, जबकि भारतीय जनता पार्टी को यह नहीं भूलना चाहिए कि ये लोकतंत्र है और इसमें सत्ता और सरकारें आती-जाती रहती हैं। और जब वह यानि भाजपा विपक्ष में आएगी तो सत्ताधारी पार्टी भी बदले की भावना से कार्य कर सकती है। जो सरासर ग़लत है। पब्लिक पोलिटिकल पार्टी भाजपा की इस बदले की भावना वाली राजनीति और घिनौनी हरकतों की निंदा करती है।
आपको बता दें कि इस साल अलग-अलग पार्टियों के 15 बड़े नेताओं के ख़िलाफ़ जांच एजेंसियां, ईडी, सीबीआई व इनकम टैक्स शिकंजा कस चुकी हैं। इसमें सोनिया गांधी व राहुल गांधी से लेकर संजय राऊत, नवाब मलिक, सत्येंद्र जैन और पार्थ चटर्जी तक के नाम हैं। वर्ष 2014 से लेकर अब तक क़रीब 121 नेता तो अकेले ईडी की जांच के दायरे में आ चुके हैं। इनमें से 115 यानी लगभग 95% विपक्ष के हैं जबकि यूपीए के कार्यकाल में 2004 से 2014 के बीच सिर्फ 26 नेता ईडी के रडार पर आए थे और इनमें से 14 यानी 54% विपक्ष के थे। वहीं 2004 से 2014 के बीच सीबीआई ने 72 नेताओं पर एक्शन लिया जिनमें से 43 विपक्ष के थे। 2014 से अब तक 124 नेता सीबीआई के हत्थे चढ़े जिनमें से 118 विपक्षी पार्टियों के हैं।
श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी से नेशनल हेराल्ड केस में ईडी ने अगस्त में दोनों से घंटों पूछताछ की। हेमंत सोरेन ईडी ने खनन लीज पट्टे मामले में झारखंड के सीएम को समन भेजा था, पहली बार किसी सीएम से दस घंटे पूछताछ हुई। फारूक अब्दुल्ला से जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन घोटाले में ईडी ने जुलाई में चार्जशीट दाखिल की थी। दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन को ईडी ने 30 मई को मनी लांड्रिंग एक्ट में गिरफ्तार किया था। कार्ति चिदंबरम को घूस लेकर चीनी नागरिकों को वीजा दिलाने के आरोप में सीबीआई ने 17 मई को इस लोकसभा सांसद के घर छापा मारा था। शिव सेना सांसद संजय राऊत को ईडी ने अगस्त में हिरासत में लिया था। नवाब मलिक को भी ईडी ने फरवरी में मनी लांड्रिंग केस में गिरफ्तार किया था जो महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार के अल्पसंख्यक कार्य मंत्री थे। पी चिदंबरम, पार्थ चटर्जी, अभिषेक बनर्जी, विनय मिश्रा, अनुब्रता मंडल, तेलंगाना के मल्लारेड्डी, गंगुला भी जांच एजेंसियों के शिकंजे में रहे।
इन सबके बारे में कहा गया कि भाजपा ने बदले की भावना के तहत एजेंसियों से कार्रवाई करवाई और इनको डराने धमकाने का कार्य किया।

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