
नई दिल्ली।
मानव अधिकारों के हनन और उल्लंघन के चलते अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने चीन की उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्र की 36 कंपनियों को निर्यात नियंत्रण वाली काली सूची (ब्लैकलिस्ट) में डाला है। लेकिन भारत चीन के ख़िलाफ़ कोई कदम नहीं उठा रहा है जबकि भारत की सीमा से लेकर बाज़ार तक में चीन घुसपैठ कर रहा है,भारत को चाहिए कि वह चीन की कंपनियों पर तुरंत प्रतिबंध लगाए उक्त मांग पब्लिक पोलिटिकल पार्टी ने करते हुए कहा है कि चीन की घटिया हरकतें जगज़ाहिर हैं। भारतीय सीमा पर चीन की घुसपैठ और सैनिक गतिविधियां रोज़ अखबारों की सुर्खियां बन रही हैं।
अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने चीन की उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्र की 36 कंपनियों को निर्यात नियंत्रण वाली काली सूची (ब्लैकलिस्ट) में डाला है। राष्ट्रीय सुरक्षा, अमेरिकी हितों और मानवाधिकारों पर चिंता के चलते यह कदम उठाया गया। इन कंपनियों में विमानन उपकरण, रसायन और कंप्यूटर चिप विनिर्माता शामिल हैं। किसी कंपनी को व्यापार एन्टिटी लिस्ट में शामिल करने का मतलब है कि उनके साथ व्यापार करने वाली किसी भी अमेरिकी कंपनी के निर्यात लाइसेंस को रद्द कर दिया जाएगा। माना जा रहा है कि चीन की सेना को अत्याधुनिक कंप्यूटर चिप और हाइपरसोनिक हथियारों जैसी उन्नत तकनीकों को हासिल करने से रोकने के लिए ये प्रतिबंध लगाए गए हैं। जिन कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया गया है उसमें वूहान स्थित कंप्यूटर चिप मेकर यांग्त्जी मेमोरी टेक्नोलॉजी और उसकी जापानी यूनिट शामिल है। अमेरिकी सरकार ने कहा है कि ये दोनो कंपनियों ऐसी गतविधियों में लिप्त पाई गई हैं जिनसे देश की रक्षा को ख़तरा उत्पन्न हो सकता है।
लेकिन पब्लिक पोलिटिकल पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा ने कहा कि इधर भारत में तो लगभग हर रोज़ ही चीन की घटिया हरकतें हो रही हैं। लेकिन भारत सरकार उस पर कार्रवाई नहीं कर रही है।
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