
सुप्रीम कोर्ट से ही न्याय नहीं मिलेगा तो बिलकिस बानो को और कहां से न्याय मिलेगा वह न्याय के लिए कहां जाएगी : श्रीमती दीपमाला श्रीवास्तव
नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बिलकिस बानो की अर्जी खारिज किए जाने को लेकर पब्लिक पॉलीटिकल पार्टी की अध्यक्ष श्रीमती दीपमाला श्रीवास्तव ने कड़ी नाराज़गी और अपनी असहमति व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि ये एक बड़ा संगीन मामला है जिसमें सुप्रीम कोर्ट को पीड़िता को हर हाल में न्याय देना चाहिए।
दीपमाला श्रीवास्तव ने कहा कि बिलकीस बानो का 21 साल की उम्र में गैंगरेप किया गया उसके 3 साल के बेटे और 6 परिवार वालों का क़त्ल कर दिया गया, पर गुजरात सरकार ने उसके सभी बलात्कारियों को आज़ाद कर दिया। दीपमाला श्रीवास्तव ने चिंता प्रकट की कि अगर सुप्रीम कोर्ट से ही न्याय नहीं मिलेगा तो बिलकिस बानो को और कहां से न्याय मिलेगा, वह न्याय के लिए कहां जाएगी। इसलिए हमारी मांग है कि बिलकीस बानो की अर्जी पर अदालत पुनः विचार करे।
ज्ञात रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई के अपने एक फैसले का पुनरीक्षण करने का अनुरोध करने वाली सामूहिक बलात्कार पीड़िता बिलकिस बानो की याचिका को खारिज कर दिया है। उच्चतम न्यायालय ने अपने उस फैसले में कहा था कि सामूहिक बलात्कार व हत्या मामले में एक दोषी द्वारा समय पूर्व रिहाई के लिए दायर अर्जी की पड़ताल के लिए गुजरात में एक उपयुक्त सरकार है। बानो की अलग याचिका में 11 दोषियों की सज़ा गुजरात सरकार द्वारा माफ़ करने को चुनौती दी गई है, जो उच्चतम न्यायालय में लंबित है।
बिलकिस बानो वर्ष 2002 में गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई थी और उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। घटना के समय बानो की उम्र 21 साल थी और वह 5 महीने की गर्भवती थी। शीर्ष न्यायालय ने 13 मई के अपने आदेश में राज्य सरकार को 9 जुलाई 1992 की अपनी नीति के संदर्भ में समय पूर्व रिहाई के लिए एक दोषी की याचिका पर विचार करने और 2 महीने के अंदर फैसला करने के लिए कहा था। वह नीति दोषसिद्धि के समय लागू थी। गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों की सज़ा माफ़ करते हुए उन्हें 15 अगस्त को रिहा कर दिया था। प्रक्रिया के अनुसार शीर्ष न्यायालय के फ़ैसले के ख़िलाफ़ पुनरीक्षण याचिका पर फैसला संबंधित निर्णय सुनाने वाले न्यायाधीश अपने कक्ष में करते हैं। कक्ष में विचार करने के लिए यह याचिका 13 दिसंबर को न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ के समक्ष आई थी। शीर्ष न्यायालय के सहायक पंजीयक द्वारा बानो की वकील शोभा गुप्ता को भेजे गए संदेश में कहा गया है कि मुझे आप को यह सूचित करने का निर्देश दिया गया है कि उच्चतम न्यायालय में दायर उक्त पुनरीक्षण याचिका 13 दिसंबर 2022 को खारिज कर दी गई। इसमें कहा गया है कि हमारे विचार से पुनरीक्षण का कोई मामला नहीं बनता है, इसलिए पुनरीक्षण याचिका खारिज की जाती है। शीर्ष अदालत ने इसे अदालत में सूचीबद्ध करने की अर्जी भी खारिज कर दी।
जिस पर महिला आयोग सहित पब्लिक पोलिटिकल पार्टी ने अपनी असहमति और नाराज़गी ज़ाहिर की है।
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