पियोगे तो मरोगे ही” कहने वाले नीतीश अपने सरकारी अमले को शराब बिक्री करने से रोक नहीं पा रहे हैं : श्रीमती दीपमाला श्रीवास्तव
नई दिल्ली।
पब्लिक पोलिटिकल पार्टी ने अपने बयान में कहा है कि बिहार में शराब बंदी को लागू करने में असफल रहे नीतीश कुमार लोगों की जान लेने वाली शराब की बिक्री नहीं रोक पा रहे हैं। और बड़ी बेशर्मी से कह देते हैं कि पियोगे तो मरोगे ही। पार्टी अध्यक्षा श्रीमती दीपमाला श्रीवास्तव ने कहा है कि बिहार में शराब बंदी को लेकर ख़ूब वाहवाही लूटने वाले नीतीश कुमार और उनकी सरकार शराब को रोक नहीं पा रही है। 2016 से शुरू हुए शराब बैन के बाद से लगातार अवैध और फर्जी शराब बनने, बिकने और मिलने की खबरें आती रही हैं। और कभी भी ऐसा नहीं लगा कि शराबबंदी कर के बिहार में सुशासन की कोई नई इबारत लिखी गई हो। बल्कि हुआ बिल्कुल उलटा ही है। बिहार में शराब माफिया पनप चुके हैं। न-न करते हुए भी करीब साठ-सत्तर हज़ार करोड़ की एक नई इंडस्ट्री राज्य में ग़ैर क़ानूनी तरीके से चल रही है। क्योंकि इसमें बहुत बड़े पैमाने पर राज्य की ब्यूरोक्रेसी से लेकर नेता तक शामिल हैं, इसलिए बड़े पैमाने पर पूर्ण रोकथाम की कार्रवाई नहीं होती।
अगर समय रहते राज्य पुलिस के अधिकारी सख़्ती से शराबबंदी के कानून को अमल में ला रहे होते तो भला किसकी मजाल थी कि अवैध और ज़हरीली शराब बिक रही होती और साल दर साल लोग मर रहे होते। और नीतीश सरकार के मंत्री तो बेशर्मी से यहां तक तर्क दे रहे हैं कि पड़ोसी राज्यों से उनके राज्य में शराब भेजी जाती है तो कोई उनसे पूछे कि तब आपकी पुलिस क्या करती रहती है और इन तस्करों को पकड़ती क्यों नहीं है। आख़िर ये तस्कर बिहार के ख़ाकी धारियों से डरते क्यों नहीं हैं? ये किसकी असफलता है? क्या यही सुशासन है? क्या यही नीतीश कुमार का शराबबंदी लागू का माडल है -? यहां के ग़रीब मजदूर और गांवों में काम कर रहे भाड़े के मजदूर और झुग्गियों में रहने वाले ही ज़्यादातर मामलों में जान से हाथ धोना पड़ता है, क्योंकि शराबबंदी के बावजूद पन्नियों और थैलियों में भरी कच्ची, फर्जी और सस्ती शराब आसानी से घर बैठे मिल जा रही है। या कहिए कि इन लोगों की जान ले रही है। और इस पर नीतीश कुमार की नाकाम होती नीति पर अड़े रहना इस व्यवस्था को दुरुस्त करने के बजाय ये कहना कि ‘पियोगे तो मरोगे है ही’, एक बेशर्मी ही है।
और अगर शराबबंदी पर विपक्ष, मीडिया या जनता सवाल करती है तो बाबू नीतीश कुमार भड़क भी जाते हैं। सीएम नीतीश कुमार अब इस पर भी अड़ गए हैं कि जो ग़रीब फर्जी शराब पीने से अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं उन्हें किसी भी तरह का मुआवज़ा नहीं दिया जाएगा। ये और अमानवीयता है क्योंकि
छपरा में दर्जनों घरों के कई ऐसे लोग ज़हरीली शराब का इस बार शिकार हुए हैं जो परिवार के कमाने वाले पूत थे। अब जबकि कोई राहत नीतीश की महागठबंधन सरकार नहीं देगी तो आने वाले दिनों में कई बच्चों, बीवियों, बहनों और माताओं को जीवन-यापन के लाले पड़ जाएंगे।

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