
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव अब जल्दी ही होने वाले हैं और सभी पार्टियां इन चुनावों को पूरी गंभीरता से लेकर पूरे दमखम से लड़ने की तैयारियां कर रही हैं। ये इसलिए भी है कि वर्ष 2024 में आम चुनाव होने हैं। इसलिए अभी से राजनीतिक बिसात बिछाई जाने लगी है। बीजेपी से लेकर सपा,बसपा और कांग्रेस तक अपनी-अपनी तैयारी में जुटे हैं। निकाय चुनाव के मुद्दे पर जहां बीजेपी कोर ग्रुप नेताओं की बैठक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास पांच कालीदास मार्ग पर हुई, जहां नगर निकाय चुनाव और एमएलसी की शिक्षक-स्नातक के क्षेत्र चुनाव को लेकर रणनीति बनी वहीं, इससे पहले दिल्ली में बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के बीच बैठक हुई, जिसमें बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह और महामंत्री संगठन बीएल संतोष और मुख्यमंत्री योगी शामिल रहे। बीजेपी की यह दोनों ही बैठकों में निकाय चुनाव जीतने की रूप रेखा बनाई गई है। यूपी के नगर निकाय चुनाव के बाद 2024 में लोकसभा का चुनाव है। ऐसे में भाजपा सहित सभी पार्टियां किसी तरह से भी राज्य में किसी तरह की कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं। निकाय चुनाव को लोकसभा-2024 का सेमीफाइनल माना जा रहा है। और सभी पार्टियां नगर निगमों, ज़िला मुख्यालय वाली नगर पालिका परिषद के साथ प्रमुख नगर पंचायतों पर जीत का परचम फहराने की कवायद में हैं। ज्ञात रहे कि 2017 के नगर निकाय चुनाव में बीजेपी ने 16 नगर निगम में से 14 में अपना मेयर बनाया थी और दो मेयर बसपा के बने थे। नगर पालिका के नतीजे देखें तो 198 शहरों में से बीजेपी 67, सपा 45, बसपा 28 और निर्दलीय 58 जगह पर जीते थे, ऐसे ही नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव देखें तो 538 कस्बों में से बीजेपी 100, सपा 83, बसपा 74 और निर्दलीय 181 जगह जीत दर्ज की थी। 15 जनवरी तक इन सभी का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। वहीं, उत्तर प्रदेश में नगर निकाय की सीटें इस बार बढ़कर कुल 760 हो गई हैं, राज्य में 545 नगर पंचायत, 200 नगर पालिका परिषद और 17 नगर निगम की सीटें हैं। इस तरह नगर पालिका,पचायत अध्यक्ष, निगम में महापौर और पार्षद पद के लिए चुनाव कराए जाने हैं। निकाय चुनाव के सीटों के आरक्षण को लेकर मामला हाईकोर्ट में है। कोर्ट के फैसले पर भी सभी दलों की निगाहें लगी हुई हैं।
उत्तर प्रदेश में 17 नगर निगम है, जहां पर मेयर और पार्षद सीटों के लिए चुनाव होने है. बीजेपी ने पिछली बार 14 में अपना मेयर बनाने में कामयाब रही थी जबकि मेरठ और अलीगढ़ में बसपा के मेयर बने थे।
यूपी के शहरी इलाकों में देखें तो मुस्लिम, ब्राह्मण, कायस्थ, वैश्य और पंजाबी जातियां अहम भूमिका में है। बीजेपी ब्राह्मण-कायस्थ-वैश्य-पंजाबी समीकरण के ज़रिए शहरी इलाकों में जीत दर्ज करती रही है तो सपा और बसपा मुस्लिम वोटों के भरोसे अपना दम दिखाती है। दलित समुदाय शहरी इलाकों में बहुत ज्यादा संख्या में नहीं है जबकि ओबीसी में यादव, कुर्मी, जाट जैसी नौकरी पेशा वाली जातियां है। इन पांचों जातियों के समीकरण को देखते हुए राजनीतिक बिसात बिछाकर चुनावी नैया पार लगाने की रणनीति बनाई जा रही है।
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