नई दिल्ली।
यह कितना आश्चर्यजनक है कि देश के प्रधानमंत्री की ओर से चलाई जाने वाली योजना का लाभ देश के सवर्णों को नहीं मिलता है। क्योंकि इसकी पहली शर्त ही में कहा गया है कि महिला का एससी- एसटी वर्ग से होना आवश्यक है। पब्लिक पॉलीटिकल पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती दीपमाला श्रीवास्तव ने इस पर आश्चर्य प्रकट किया है। सरकार की ओर से जारी समाचार में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का लाभ लेने के लिए महिला को आठ में से एक शर्त को पूरी करने के बाद ही लाभ मिलेगा। इससे पहले महिला के लिए आय की बंदिश नहीं थी लेकिन अब उसे लाभ के लिए अपनी आय भी बतानी होगी। गर्भावस्था के समय महिलाओं के शरीर में पोषण की कमी न हो इसे ध्यान में रखते हुए शासन की ओर से यह योजना है और यह भी शर्तों पर आधारित है। हालांकि अभी तक भी इस योजना के लिए आवश्यक पोर्टल नवीनीकरण 20 मई तक बंद रहा। आवेदन न होने से लाभार्थी महिलाएं योजना के लाभ से वंचित रह गईं। नोएडा के सीएमओ डॉ सुनील कुमार शर्मा का कहना है कि अब लाभ लेने के लिए महिला को आठ में किसी एक शर्त को पूरी करने के बाद ही लाभ मिलेगा। पहले भी सरकारी सेवा और मल्टीनेशनल कंपनी एमएनसी में काम करने वाली महिला को योजना का लाभ नहीं मिलता था लेकिन अब योजना में संशोधन किया गया है योजना के तहत पहली बार गर्भवती दो किस्तों में पांच हज़ार सरकार देगी। पहली किस्त में तीन हज़ार और दूसरी किस्त में दो हज़ार दिए जाएंगे। बच्चे के जन्म से 270 दिन के अंदर आवेदन करना होगा। इस योजना की पहली शर्त ही ये है कि महिला एससी एसटी वर्ग से हो।
अन्य शर्तों में ये है कि महिला 40% या पूरी तरह दिव्यांग हो, महिला जन आरोग्य योजना की लाभार्थी हो, महिला जिसके पास ई श्रम कार्ड हो, महिला के पास मनरेगा कार्ड हो, महिला जिनकी पारिवारिक आय 8 लाख से कम हो, महिला जो किसान सम्मान निधि की लाभार्थी हो, महिला आशा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हो आदि। ये कितना आश्चर्यजनक और भेदभावपूर्ण है कि सवर्ण जातियों यानि ब्राह्मण, कायस्थ, क्षत्रिय, वैश्य की महिलाएं इस पीएम मातृ वंदना योजना से वंचित हैं।

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