नई दिल्ली।
देश के कर्नाटक राज्य में एससी/एसटी के आरक्षण को बढ़ाना सवर्णों के ख़िलाफ़ एक साज़िश है उक्त विचार पब्लिक पोलिटिकल पार्टी के राष्ट्रीय संस्थापक लोकेश शीतांशु श्रीवास्तव ने व्यक्त किए हैं और कहा है कि आरक्षण का लगातार बढ़ाते रहना जहां सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी मामले में दिए आदेश की अवहेलना है वहीं देश के सवर्ण समाज के साथ अन्याय और साज़िश है। उन्होंने कहा कि देखा जा रहा है कि आरक्षण में बढ़ोतरी के प्रकरण लगातार बढ़ते जा रहे हैं। और 1982 के इंदिरा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से 50% की सीमा तक का ध्यान नहीं रखा जा रहा है।
कर्नाटक सरकार ने राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति एससी एसटी के लिए आरक्षण बढ़ाने के अध्यादेश की जगह विधानसभा में एक विधेयक पेश किया था, इस अध्यादेश के जरिए अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण 15% से बढ़ाकर 17% जबकि अनुसूचित जनजाति के लिए 3% से बढ़ाकर 7% कर दिया गया। यह अध्यादेश 23 अक्टूबर को जारी किया गया था। राज्य मंत्रिमंडल ने 8 अक्टूबर को एससी/ एसटी आरक्षण बढ़ाने के लिए अपनी औपचारिक मंजूरी दी थी।
लगातार आरक्षण के बढ़ते प्रभाव और दुष्परिणामों को देखते हुए सवर्ण हितेषी और देश को समर्पित पब्लिक पोलिटिकल पार्टी ने सवर्ण आयोग गठित करने की मांग उठाई है। पार्टी का कहना है कि राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग ने जो कुछ कहा है वह चौंकाने वाला और सवर्णों के लिए घातक है ऐसे में सवर्ण आयोग गठित किया जाना नितांत आवश्यक है।
आपको बता दें कि राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग ने कहा है कि ओबीसी आरक्षण का दायरा बढ़ रहा है और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में बड़े पैमाने पर हिंदू मुसलमान बन रहे हैं। और इसलिए राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग ने पश्चिम बंगाल में ओबीसी आरक्षण को लेकर समीक्षा कराने का निर्णय भी किया है। यदि आयोग की मानें तो देश के राज्यों में पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर मची होड़ के बीच पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर हिंदू धर्म बदलकर मुस्लिम बन गए हैं इतना ही नहीं राज्य सरकार ने बांग्लादेश से आए मुसलमानों को भी ओबीसी आरक्षण सूची में शामिल किया है। आयोग के अनुसार पंजाब ने भी ओबीसी आरक्षण बढ़ाने के लिए अनुरोध किया है पंजाब में इसे 12 से 25% किया जाएगा। राज्य सरकार ने यादवों को भी ओबीसी में शामिल करने की सिफारिश की है। राज्य पिछड़ा आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने बताया है कि देश भर के राज्यों से ऐसी सिफारिशें आ रही हैं। तो ऐसे में पब्लिक पोलिटिकल पार्टी ने अपनी चिंता प्रकट की है और मांग की है कि बिना विलम्ब किए सवर्ण आयोग गठित किया जाना चाहिए।

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