नई दिल्ली।
पब्लिक पोलिटिकल पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती दीपमाला श्रीवास्तव ने अपने एक बयान में कहा है कि वर्तमान समय में तरक्की के लिए सवर्णों की जनगणना नितांत आवश्यक है। और वह शीघ्र कराई जानी चाहिए। वह जातियों की जनगणना के संबंध में अपने विचार प्रकट कर रही थीं। उन्होंने बताया कि हालांकि देश की सुप्रीम अदालत सुप्रीम कोर्ट ने जाति आधारित जनगणना पर अंतरिम रोक लगाने के पटना हाई कोर्ट के आदेश पर स्थगन देने से इन्कार कर दिया है और सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में कहा है कि वह जांचेगा की सर्वे की आड़ में यह जनगणना तो नहीं है, बहुत से दस्तावेज़ हैं जिससे लगता है कि यह जनगणना है।
पपोपा की अध्यक्षा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की याचिका पर सुनवाई 14 जुलाई तक के लिए टाल दी है। बिहार सरकार राज्य में जाति आधारित गणना करा रही है जिसमें पहले चरण की गणना 7 जनवरी से 21 जनवरी तक हुई थी दूसरे चरण की गणना 15 अप्रैल को शुरू होकर 15 मई तक चलनी थी पटना हाईकोर्ट ने 4 मई को जाति आधारित गणना पर अंतरिम रोक लगा दी थी पटना हाईकोर्ट के जाति आधारित गणना पर रोक लगाने के आदेश के ख़िलाफ़ दाख़िल बिहार सरकार की याचिका जस्टिस अभय ओका और राजेश बिंदल की पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगी थी कोर्ट ने बिहार सरकार का हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध ठुकराते हुए कहा कि हम साफ कर देना चाहते हैं कि यह ऐसा केस नहीं है जिसमें कोर्ट आपको अंतरिम राहत दे दे। कोर्ट को जब बताया गया की हाईकोर्ट में मामला 3 जुलाई को सुनवाई पर लगा है तो पीठ ने हाईकोर्ट में सुनवाई की तिथि बीत जाने के बाद 14 जुलाई को बिहार सरकार की याचिका दोबारा सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया, पीठ ने कहा कि अगर किसी कारण से हाईकोर्ट में तय तिथि पर सुनवाई नहीं हो पाई तो वह राज्य सरकार को इस मुद्दे पर आगे सुनेगा इससे पहले बिहार सरकार के वकील श्याम दीवान ने कहा था कि हाईकोर्ट का आदेश गलत है क्योंकि यह जनगणना नहीं बल्कि स्वैच्छिक सर्वे है, इस पर पीठ ने कहा कि वह अपनी बातें 3 जुलाई को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान रखें।
श्रीमती दीपमाला श्रीवास्तव ने स्पष्ट किया कि वर्तमान समय में सवर्णों की जनगणना नितांत आवश्यक है और ये कराई जानी चाहिए।

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