
नई दिल्ली।
अक्सर कहा जाता है कि “जिसका काम उसी को साजे” तो ऐसे में मंदिर में पुजारी की अगर बात की जाए तो पंडिताई का कार्य भी ब्राह्मण को ही जंचता है क्योंकि वह उसके लिए उपयुक्त और योग्य है। अभी फिलहाल मद्रास हाईकोर्ट के एक फैसले के संदर्भ में पब्लिक पोलिटिकल पार्टी के राष्ट्रीय फाउंडर लोकेश शीतांशु श्रीवास्तव ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि वह कोर्ट के इस फैसले पर अपनी असहमति प्रकट करते हैं कि मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति में जाति की कोई भूमिका नहीं होगी। उन्होंने कहा कि पुजारी का पद केवल ब्राह्मणों के लिए ही आरक्षित होना चाहिए। पब्लिक पोलिटिकल पार्टी कार्यालय में जारी अपने बयान में उन्होंने कहा कि मद्रास हाईकोर्ट ने अपने फैसले में जो कहा है कि
मंदिर के पुजारी की नियुक्ति में जाति का कोई बंधन नहीं। ये न्यायोचित नहीं है। क्योंकि मंदिरों में सदैव ब्राह्मणों ने पुजारी पद की न केवल गरिमा रखी है बल्कि पांडित्य कर्म के लिए पूरी तरह से निपुण और उचित रूप से प्रशिक्षित और योग्यता का परिचय दिया है। उन्होंने पूजा अर्चना और मंदिर के नियमों को अच्छी तरह पालन किया है। इसलिए पुजारी पद ब्रहामणों के लिए पूरी तरह आरक्षित होना चाहिए।
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