सरकार के आंकड़े वास्तविकता से हैं दूर : श्रीमती दीपमाला श्रीवास्तव
नई दिल्ली।
राष्ट्रहित और सवर्ण समाज की पब्लिक पोलिटिकल पार्टी ने देश में बढ़ती बेरोज़गारी और ग़रीबी पर चिंता व्यक्त करते हुए वर्तमान सरकार को आड़े हाथों लिया कि उसके आंकड़े वास्तविकता से दूर हैं। पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती दीपमाला श्रीवास्तव ने कहा है कि अभी फिलहाल ही सरकार ने अपने आंकड़े बता कर
पिछले पांच वर्ष में 13.5 करोड़ भारतीयों को ग़रीबी से मुक्त होने का दावा किया है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांकः एक प्रगति संबंधी समीक्षा 2023” जारी करके अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2015-16 से 2019-21 की अवधि के दौरान रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग ग़रीबी से मुक्त हुए हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में ग़रीबी तीव्रतम गति से 32.59 प्रतिशत से गिरकर 19.28 प्रतिशत रह गयी है। बताया गया है कि यह रिपोर्ट राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण एनएफएचएस- चार और पांच (2015-16 और 2019-21) पर आधारित है। रिपोर्ट तैयार करने के लिए पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, रसोई गैस, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, परिसंपत्ति और बैंक खातों को शामिल किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में गरीबों की संख्या वर्ष 2015-16 में 24.85 प्रतिशत थी और यह वर्ष 2019-2021 में 14.96 प्रतिशत हो गई जिसमें 9.89 प्रतिशत की उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है। इस अवधि के दौरान शहरी क्षेत्रों में गरीबी 8.65 प्रतिशत से गिरकर 5.27 प्रतिशत हो गई। इसके मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों की ग़रीबी तीव्रतम गति से 32.59 प्रतिशत से घटकर 19.28 प्रतिशत हो गई है । सरकार की इस रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में 3.43 करोड़ लोग गरीबी से मुक्त हुए हैं जो कि गरीबों की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट है। इसके अलावा 36 राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों तथा 707 प्रशासनिक ज़िलों के लिए ग़रीबी संबंधी अनुमान प्रदान करने वाली रिपोर्ट से पता चलता है कि गरीबों के अनुपात में सबसे तीव्र कमी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में हुई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत वर्ष 2030 की निर्धारित समय सीमा से काफी पहले सहस्राब्दी विकास लक्ष्य एसडीजी को हासिल करने के पथ पर अग्रसर है। स्वच्छता, पोषण, रसोई गैस, वित्तीय समावेशन, पेयजल और बिजली तक पहुंच में सुधार पर सरकार के प्रयासों से प्रगति हुई है। पोषण अभियान और एनीमिया मुक्त भारत जैसे प्रमुख कार्यक्रमों ने स्वास्थ्य में अभावों को कम करने में योगदान प्रदान किया है। स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) और जल जीवन मिशन (जेजेएम) जैसी पहलों ने देशभर में स्वच्छता संबंधी सुधार किया है। प्रधानमंत्री उज्जवला योजना (पीएमयूवाई) के माध्यम से सब्सिडी वाले रसोई गैस के प्रावधान ने जीवन को सकारात्मक रूप से बदल दिया है। प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई), प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) और समग्र शिक्षा जैसी पहलों ने भी ग़रीबी को कम करने में प्रमुख भूमिका निभाई है।
सरकार की इस रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए पब्लिक पोलिटिकल पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती दीपमाला श्रीवास्तव ने स्पष्ट कहा है कि इस रिपोर्ट में आंकड़ों को घूमाया फिराया गया है और ये धरातल की सच्चाई से बहुत दूर है।
सच ये है कि भारत में बेरोज़गारी बढ़ कर चरम पर पहुंच रही है और ग़रीबी बढ़ती जा रही है। अधिकांश योजनाओं को काग़ज़ों में सफल दिखाया जा रहा है। अधिकारी सरकार का गुणगान बढ़ा चढ़ा कर कर रहे हैं। धरातल की सच्चाई ये है कि अधिकांश प्रदेशों में बेरोज़गार और ग़रीब बढ़ रहे हैं जो चिंताजनक है।
#PPP
#PublicPoliticalParty
#LokeshShitanshuShrivastava
#DeepmalaSrivastva
#swarnparty
#unemplyeement
#Poverty
#Education
#publicpoliticalpartygovernment
