नई दिल्ली (अनवार अहमद नूर )
देश की राजनीति में एक नया मोड़ आया है जिसने संकेत दिया है कि आने वाले समय में देश की राजनीति एनडीए बनाम इंडिया बनाई जाएगी। देश के 26 विपक्षी दलों (जिसमें कांग्रेस भी शामिल है) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को आम चुनाव 2024 में मिलकर चुनौती देने के लिए बेंगलुरु में ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इन्क्लूसिव एलायंस) के गठन की घोषणा की है। जबकि एनडीए ने इसे भानुमति का कुनबा क़रार दिया है।
पब्लिक पोलिटिकल पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती दीपमाला श्रीवास्तव ने इस पर अहम सवाल खड़ा किया है कि क्या ये इंडिया बनाम एनडीए भारतीय राजनीति को सही दिशा में स्थापित करके लोकतांत्रिक मूल्यों और स्वच्छ राजनीति को स्थापित कर सकेंगे -? देश से भ्रष्टाचार और कुव्यवस्था समाप्त कर सकेंगे -?
शिक्षा और रोज़गार की व्यवस्था कर सकेंगे, सभी को समान अवसर उपलब्ध करा सकेंगे -? इन सवालों को उठाते हुए श्रीमती दीपमाला श्रीवास्तव ने कहा कि परिवर्तन एक आवश्यक प्रक्रिया है। भारतीय राजनीति की दशा और दिशा पर बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि आज देश में सुधार और सुविधाओं की बड़ी आवश्यकता है जिसके लिए देश की जनता राजनीतिक दलों का मुंह देख रही है और उसे अभी तक निराशा ही हाथ लगी है।
बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के स्थान पर भले ही एक नये गठबंधन इंडिया को जन्म दे दिया हो लेकिन भारतीय राजनीति और देश की जनता अभी किसी भी नवीनता के लिए तरस रही है और पुरानी सड़ी गली राजनीतिक व्यवस्था को झेल रही है।
आपको बता दें कि पिछले माह 16 विपक्षी दलों की बैठक पटना में हुई थी, जिसके लिए न्योता बिहार के मुख्यमंत्री एवं जनता दल (यू) नेता नीतीश कुमार ने दिया था और अब
बेंगलुरु में बैठक के बाद विपक्षी नेताओं ने इंडिया के तहत नरेन्द्र मोदी सरकार की तथाकथित विभाजनकारी और जनविरोधी नीतियों की आलोचना करते हुए कहा है कि बेंगलुरु में एक नई शुरुआत हुई है और जिसके ज़रिए विपक्ष, मोदी सरकार के ख़िलाफ़ एक राष्ट्र की ओर से चुनौती देने के लिए खड़ा हुआ है। देश के 26 विपक्षी दलों ने जिनमें तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और कांग्रेस के राहुल गांधी शामिल हैं इस इंडिया की कमान संभाली है।
यहां बैठक में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राष्ट्रीय जनता दल के लालू प्रसाद, आम आदम पार्टी के अरविंद केजरीवाल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी, जनता दल (यूनाइटेड) के नीतीश कुमार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी, द्रविढर मुनेत्र कषगम के एम के स्टालिन तथा अन्य राष्ट्रीय नेताओं ने अपने अपने विचार रखे और मोदी सरकार सरकार पर तीखे हमले किये।
सुश्री ममता बनर्जी ने कहा कि बेंगलुरु में अच्छी शुरुआत हुई है। हमने इस गठबंधन ‘इंडिया’ का गठन किया है। यह देश भर में ख़रीद-फ़रोख्त की राजनीति कर रही भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के ख़िलाफ़ देश की ओर से वास्तविक चुनौती है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार अपने विरोधियों के ख़िलाफ़ केन्द्रीय जांच ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय और अन्य जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। आम आदमी पार्टी प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज से नौ साल पहले श्री मोदी के नेतृत्व में केन्द्र में सरकार बनी। उसके सामने देश के लिए काम करने का बड़ा अवसर था, लेकिन वह हर मोर्चे पर विफल रही है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे एनडीए बनाम इंडिया की लड़ाई बताते हुए कहा कि विपक्षी दल संविधान, भारतीयों की आवाज़ और विचार को बचाने के लिए कृतसंकल्पित हैं। उन्होंने ज़ोर दिया कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ‘इंडिया’ के बीच की लड़ाई है और ये भी जगजाहिर है कि जहां इंडिया होता है वहां किसकी जीत होती है।उन्होंने कहा कि देश की सम्पत्ति को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नज़दीकी कुछ चंद व्यक्तियों के हाथों में दिया जा रहा है। देश की आवाज़ को दबाया-कुचला जा रहा है। यह उस आवाज़ को बचाने की लड़ाई है। यह लड़ाई ‘एनडीए’ और ‘इंडिया’ के बीच है, उनकी विचारधारा और ‘इंडिया’ के बीच है, हम संविधान, भारतीयों की आवाज़ और भारत के विचार को बचाने के लिए लड़ रहे हैं।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री एवं शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता उद्धव ठाकरे ने विपक्ष पर परिवारवाद को बढ़ावा देने वाली राजनीति के भाजपा के आरोपों के जवाब में कहा कि ‘हम देश को परिवार मानते हैं। देश ही हमारा परिवार है। उधर दूसरी ओर दिल्ली में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन राजग ने भी अपनी बैठक की है जिसमें 38 दलों के शामिल होने का दावा किया गया है।
अब आने वाले समय में देखना ये है कि भारतीय राजनीति में आया ये नया मोड़ क्या रंग और रूप लेता है और वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों के परिप्रेक्ष्य में भी कितना सार्थक और सफल हो पाता है -? लेकिन फ़िलहाल तो विपक्षी दलों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने के संकल्प के साथ अपने महागठबंधन को भारतीय राष्ट्रीय लोकतांत्रिक समावेशी गठबंधन( इंडिया) नाम के साथ मैदान में उतार लिया है और भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकने का संकल्प लेते हुई कहा है कि हम, भारत के 26 प्रगतिशील दलों के हस्ताक्षरित नेता, संविधान में निहित भारत के विचार की रक्षा के लिए अपना दृढ़ संकल्प व्यक्त करते हैं। हमारे गणतंत्र के चरित्र पर भाजपा द्वारा व्यवस्थित तरीके से गंभीर हमला किया जा रहा है। हम अपने देश के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं। भारतीय संविधान के मूलभूत स्तंभों- धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र,आर्थिक संप्रभुता, सामाजिक न्याय और संघवाद-को व्यवस्थित रूप से और ख़तरनाक रूप से कमज़ोर किया जा रहा है।
इंडिया के सकल्प पत्र में कहा गया है कि “हम मणिपुर को तबाह करने वाली मानवीय त्रासदी पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं। प्रधानमंत्री की ख़ामोशी चौंकाने वाली और अभूतपूर्व है। मणिपुर को शांति और सुलह के रास्ते पर वापस लाने की तत्काल आवश्यकता है। हम संविधान और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राज्य सरकारों के संवैधानिक अधिकारों पर जारी हमले का मुकाबला करने के लिए दृढ़ हैं। हमारी राजनीति संघीय ढांचे को जानबूझकर कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। गैर-भाजपा शासित राज्यों में राज्यपालों और उपराज्यपालों की भूमिका संवैधानिक मानदंडों से अधिक रही है।
विपक्षी दलों के सामूहिक संकल्प पत्र में कहा गया है कि भाजपा सरकार द्वारा राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के ख़िलाफ़ एजेंसियों का खुल्लम-खुल्ला दुरुपयोग हमारे लोकतंत्र को कमज़ोर कर रहा है। गैर-भाजपा शासित राज्यों की वैध ज़रूरतों,आवश्यकताओं और अधिकारों को केंद्र द्वारा सक्रिय रूप से अस्वीकार किया जा रहा है। हम आवश्यक वस्तुओं की लगातार बढ़ती कीमतों और रिकॉर्ड बेरोज़गारी के गंभीर आर्थिक संकट का सामना करने के अपने संकल्प को मज़बूत करते हैं। विमुद्रीकरण अपने साथ एमएसएमई और असंगठित क्षेत्रों में अनकही दुर्दशा लेकर आया, जिसके परिणामस्वरूप हमारे युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर बेरोज़गारी आई। हम पसंदीदा मित्रों को देश की संपत्ति की लापरवाही से बिक्री का विरोध करते हैं। हमें एक मज़बूत और रणनीतिक सार्वजनिक क्षेत्र के साथ-साथ एक प्रतिस्पर्धी और फलते-फूलते निजी क्षेत्र के साथ एक निष्पक्ष अर्थव्यवस्था का निर्माण करना चाहिए, जिसमें उद्यम की भावना को बढ़ावा दिया जाए और विस्तार करने का हर अवसर दिया जाए। किसान और खेत मजदूर के कल्याण को हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकता मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ पैदा की जा रही नफ़रत और हिंसा को हराने के लिए एक साथ आए हैं और महिलाओं, दलितों, आदिवासियों तथा कश्मीरी पंडितों के ख़िलाफ़ बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए सभी सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों के लिए एक निष्पक्ष सुनवाई की मांग करते हैं और पहले कदम के रूप में जाति जनगणना को लागू करें। विपक्षी दलों ने कहा है कि हम अपने साथी भारतीयों को निशाना बनाने, प्रताड़ित करने और दबाने के लिए भाजपा की प्रणालीगत साज़िश से लड़ने का संकल्प लेते हैं। नफ़रत के उनके ज़हरीले अभियान ने सत्तारूढ़ दल और उसकी विभाजनकारी विचारधारा का विरोध करने वाले सभी लोगों के ख़िलाफ़ द्वेषपूर्ण हिंसा को जन्म दिया है। ये हमले न केवल संवैधानिक अधिकारों और स्वतंत्रताओं का उल्लंघन कर रहे हैं, बल्कि उन बुनियादी मूल्यों को भी नष्ट कर रहे हैं जिन पर भारत गणराज्य की स्थापना हुई है-स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व और न्याय-राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक। भारतीय इतिहास का पुनर्निमाण और पुनर्लेखन करके सार्वजनिक विमर्श को दूषित करने के भाजपा के बार-बार प्रयास सामाजिक सद्भाव का अपमान हैं। हम राष्ट्र के सामने एक वैकल्पिक राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक एजेंडा पेश करने का संकल्प लेते हैं। हम शासन के सार और शैली दोनों को बदलने का वादा करते हैं जो अधिक परामर्शात्मक, लोकतांत्रिक और सहभागी होगा। जय हिंद।

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