पृथ्वीराज चौहान के वंशजों का रुतबा वापिस करो और उन्हें क्षत्रिय राजपूत मानते हुए ओबीसी से तुरन्त बाहर करो : श्रीमती दीपमाला श्रीवास्तव

ये तो हद ही हो गई है कि वोटों की राजनीति के चलते पृथ्वीराज चौहान के वंशजों को ओबीसी में शामिल कर दिया गया है जो अनुचित है।

प्रयागराज/नई दिल्ली

राष्ट्रहित और सवर्णों की पब्लिक पोलिटिकल पार्टी ने यूपी में पिछड़ी जाति की सूची में पृथ्वीराज चौहान के वंशजों यानि लोनिया चौहान जाति को दर्ज किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए, लोनिया चौहान बिरादरी को तुरंत ओबीसी की सूची से बाहर करने की मांग की है। पार्टी अध्यक्षा श्रीमती दीपमाला श्रीवास्तव ने उन्हें क्षत्रिय घोषित करने की मांग का भरपूर समर्थन करते हुए कहा कि जब लोनिया चौहान मेवाड़ के राजा पृथ्वीराज चौहान के वंशज हैं तो फ़िर उन्हें राजनीतिक लाभ के लिए ओबीसी की सूची में नोनिया बिरादरी के साथ शामिल क्यों किया गया है। ये तो सरासर ग़लत और उनके साथ नाइंसाफी है।
पब्लिक पोलिटिकल पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती दीपमाला श्रीवास्तव ने इस संबंध में पत्रकारों को बताया कि छह सितंबर 1995 और 31 अगस्त 2002 को उत्तर प्रदेश सरकार ने अधिसूचना जारी कर लोनिया चौहान बिरादरी को नोनिया जाति की शाखा मानते हुए उसके साथ ओबीसी की सूची में दर्ज कर दिया था हालांकि लोनिया चौहान जाति के लोग इस बात से नाराज़ हैं। इस बात को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की गई। इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने वाली भारतीय क्षत्रिय महासभा का भी दावा है कि लोनिया और नोनिया दो अलग-अलग जातियां हैं। नोनिया कई राज्यों में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के रूप में जाने जाते हैं,जबकि लोनिया चौहान क्षत्रिय राजपूत हैं। यह लोग (जाति) मेवाड़ के राजा पृथ्वीराज चौहान के वंशज हैं। इनका सामाजिक और सांस्कृतिक अस्तित्व नोनिया बिरादरी से बिल्कुल भिन्न है। इनके बीच रोटी और बेटी का रिश्ता भी नहीं है। नोनिया और लोनिया दो अलग अलग जातियां हैं,लोनिया चौहान क्षत्रिय राजपूत हैं और मेवाड़ के राजा पृथ्वीराज चौहान के वंशज हैं। इसलिए इन्हें ओबीसी की सूची से तुरन्त बाहर करके इनका मान सम्मान वापस किया जाए।
पब्लिक पोलिटिकल पार्टी ने कहा है कि लोनिया चौहान को ओबीसी में रखना क्षत्रिय राजपूत के स्वाभिमान के ख़िलाफ़ है। ये लोग अपने मान सम्मान की वापसी के लिए आज भी संघर्ष की राह पर हैं। समय-समय पर होने वाले सामाजिक अधिवेशनों में भी लोनिया चौहान को क्षत्रिय राजपूत घोषित किया गया है, पिछड़ा वर्ग आयोग का दरवाज़ा भी खटखटाया गया है लेकिन इनकी बात को सुना नहीं गया है। यूपी की तत्कालीन सरकार ने इन्हें क्षत्रिय घोषित करने के बजाय नोनिया बिरादरी की शाखा मानते हुए ओबीसी की सूची में शामिल कर दिया है। इसे लेकर दशकों से संघर्ष जारी है। मामला जनहित याचिका के माध्यम से इलाहाबाद हाईकोर्ट भी पहुंचा है। पब्लिक पोलिटिकल पार्टी मांग करती है कि लोनिया चौहान को उनका मान सम्मान वापस किया जाए। इन्हें क्षत्रिय राजपूतों का दर्जा देते हुए ओबीसी वर्ग से बाहर किया जाए।

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