पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी (पपोपा) के गठन का उद्देश्य

भारत में आरक्षण को एक क्षतिपूर्ति अथवा मुवावजे की तरह देखा जाता है. यह माना जाता है की ब्राह्मण, क्षत्रीय, कायस्थ एवं वैश्य जाति के लोगों ने तथाकथित शूद्र लोगों का शोषण किया और उन्हें समाज की मुख्य धारा से अलग रखा. इसके कारण वे विकास नहीं कर पाए और गरीब तथा पिछड़े बने रह गए.  

अतः क्षतिपूर्ति के रूप में आरक्षण बनाया गया. किन्तु या कभी नहीं बताया जाता की यह क्षतिपूर्ति कितने वर्षों तक की जाएगी? कितनी पीढ़ियों को इसका मुवावजा भरना पड़ेगा? कितने वर्षों बाद तथाकथित शूद्र सवर्णों के बराबर हो जायेंगे.

कांग्रेस और भाजपा की सरकारों ने अपने वोट बैंक को बढ़ाने के चक्कर में आरक्षण को बनाया और बढाया. अलग अलग बहानो से, अलग अलग जातिगत सूचियाँ बनाकर आरक्षण देने की होड़ लगी हुई है. किसी भी तरह का आरक्षण सवर्णों के अधिकार को कम करता है, नस्लवाद को बढ़ावा देता है, सामाजिक असमानता को बढ़ाता है.

पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी (पपोपा) के गठन का मुख्य उद्देश्य भारत में किसी भी प्रकार के आरक्षण को समाप्त करना है.

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