पुणे से 30 किमी दूर पुणे-अहमदनगर हाईवे किनारे बसे हुए भीमा-कोरेगांव की 200 वर्ष पुराने युद्ध की बरसी ने पूरे महाराष्ट्र में जातीय हिंसा फैला दी है. जगह – जगह दलित और मराठा समुदाय के लोगों में झड़प हुई. विवाद नए वर्ष के पहले दिन सोमवार अहमदनगर हाईवे पर झगड़े के दौरान एक व्यक्ति की मौत से शुरू हुआ. इसके विरोध में मंगलवार को पुणे, मुंबई और औरंगाबाद समेत 13 जिलों में हिंसा और आगजनी हुई. मुंबई में रेल और हवाई यातायात भी प्रभावित हुआ. रिपब्लिकन पार्टी के नेता और आंबेडकर के पौत्र प्रकाश आंबेडकर ने बुधवार को महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया.
हिंसा का कारण
कारण#1. 1 जनवरी 1818 को पुणे जिले के भीमा – कोरेगांव युद्ध में ईस्ट इंडिया कंपनी ने पुणे के बाजीराव पेशवा द्वितीय की सेना की हराया था. वहां ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी जीत को यादगार बनानें के लिए स्मारक बनवाया था. इसका नाम ‘जय स्तम्भ’ है. नए वर्ष पर इस स्मारक पर अनेक दलित श्रद्धांजलि देने पहुँच गए. कार्यक्रम का आयोजन कराने वालों में केन्द्रीय मंत्री आठवले की पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया (आर पी आई) भी शामिल थी. इसके आलावा भाजपा के कई नेता शामिल थे जिनमे महाराष्ट्र के खाद्ध और नागरिक आपूर्ति मंत्री गिरीश बापट, भाजपा सांसद अम्र साबले, डिप्टी मेयर सिद्धार्थ देन्दे भी शामिल हैं.
कारण#2. 31 दिसंबर, रविवार को पुणे में शनिवारवाडा यलगार परिषद् का आयोजन किया गया. यह आयोजन पेशवावों के एतिहासिक निवास शनिवारवाडा के बहार किया गया जिसमे गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवानी, रोहित बेमुला की माँ राधिका बेमुला शामिल हुई. आरोप है की जिग्नेश मेवानी ने भाजपा एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को नया पेशवा बताते हुए, इनके विरुद्ध सभी पार्टियों को साथ आकर लाधने का आह्वान किया. महाराष्ट्र में पेशवावों का शासन ब्राह्मण शासन माना जाता है.
लोकेशजी ने की शांति की अपील
पब्लिक पोलिटिकल पार्टी के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेश शीतांशु श्रीवास्तव ने सवर्णों विशेषकर मराठा एवं बरहमन समुदाय से शांति बनाये रखने की अपील के है. लोकेश जी हिंसा शांत होने के बाद शांति स्थापना हेतु महाराष्ट्र की यात्रा करेंगे. अपने एक बयां में लोकेशजी ने कहा की भीमा-कोरेगांव का युद्ध मराठा शासकों एवं ईस्ट इंडिया कंपनी के मध्य हुआ था जिसे आज वोट बैंक के लिए (महार बनाम मराठा) युद्ध बना दिया गया है. इसका सम्बन्ध विशुद्ध राजनीतिक था न की सामाजिक.
