
नई दिल्ली।
“कहने को तो आधी आबादी और महिलाएं प्रथम कहा जाता है लेकिन जब बात राजनीति में हिस्सेदारी की और चुनाव में टिकट देने की आती है तो महिलाओं को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। यही कारण है कि राजनीति से लेकर संसद तक कम ही महिलाएं पहुंच पातीं हैं। और बहुत कम एमपी एमएलए बन पातीं हैं। लेकिन हमारी पब्लिक पोलिटिकल पार्टी महिलाओं को वरीयता देते हुए उन्हें उनका प्रतिनिधित्व प्रदान करेगी” उक्त विचार प्रकट करते हुए पब्लिक पोलिटिकल पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती दीपमाला श्रीवास्तव ने कहा कि पूरे देश में जहां पचास प्रतिशत से भी अधिक महिला वोटर हैं वहां से भी महिला विधायक या सांसद चुनकर नहीं आ पातीं। जिसका मुख्य कारण है कि महिलाओं को राजनीतिक अधिकार देने में राजनीति अधिक होती है और महिलाओं को चुनाव में टिकट नहीं दिए जाते हैं। अभी हाल फिलहाल में संपन्न हिमाचल विधानसभा चुनावों में पहली बार कुल 68 विधायकों में एक ही महिला विधायक है। क्योंकि 412 उम्मीदवारों में सिर्फ 24 महिलाओं को ही अवसर दिया गया था। इसी तरह गुजरात में भी 560 उम्मीदवारों में सिर्फ़ 40 महिलाएं उतारी गई थीं जिनमें से 15 जीत कर आईं हैं, इससे पता चलता है कि चुनावी रण में महिलाओं का सक्सेस रेट पुरुषों से कहीं बेहतर है। लेकिन इसके बावजूद छत्तीसगढ़ में 14.44% के अलावा किसी भी राज्य में महिला विधायकों का आंकड़ा 14% भी नहीं है।
8 राज्य तो ऐसे हैं जहां 50% से अधिक महिला वोटर हैं फिर भी वहां के कुल विधायकों में बमुश्किल पांच से 8% ही महिलाएं हैं। मिजोरम में तो 51% महिला वोटर होने के बावजूद कोई महिला विधायक नहीं है। नागालैंड में कोई महिला विधायक नहीं है। वहीं लोकसभा में 14.94% व राज्यसभा में 14.05% ही महिला सांसद हैं। इंटर पार्लियामेंट्री यूनियन के डाटा की माने तो दुनिया भर की संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी औसतन 18% है। पाकिस्तान में यह आंकड़ा 30% और बांग्लादेश में 21% है यानी भारत इस मामले में वैश्विक औसत में से 3% व पड़ोसी देशों से 6-7% तक पीछे खड़ा है।
यदि आंकड़ों की मानें तो भारतवर्ष में पांडिचेरी 52.88% केरल 51.59% मणिपुर 51.58% असम 51.9% मिजोरम 51.0% मेघालय 50.4% गोवा 50.1% तमिलनाडु 50% महिला वोटर हैं। लेकिन महिलाओं की राजनीतिक हिस्सेदारी बहुत कम है।
देश के 29 राज्यों के कुल 3956 विधायकों में 352 महिला विधायक हैं। इनमें 122 भाजपा की, 69 कांग्रेस की और 161 अन्य शामिल हैं।
9 राज्यों में भाजपा की और 12 में कांग्रेस की एक भी महिला विधायक नहीं। पश्चिमी बंगाल में टीएमसी की 33 महिला विधायक हैं।
राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम होने के लिए सोशल और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हालांकि महिलाओं का सक्सेस रेट पुरुषों से अधिक अच्छा है लेकिन फिर भी उन्हें पार्टियां अधिक टिकट नहीं देती हैं। उन्हें लगता है कि महिलाएं जीत नहीं पाएंगी। महिला वोटर यदि अधिक हैं तब भी पार्टियां महिलाओं को चुनावी टिकट नहीं देती। क्योंकि देश का एक बड़ा वर्ग उम्मीदवार से अधिक पार्टी आधारित वोट देता है। दूसरी ओर निर्दलीय महिला उम्मीदवार के सफल होने की संभावनाएं भी कम दिखती हैं।
पब्लिक पोलिटिकल पार्टी देश की एकमात्र ऐसी पार्टी है जो महिलाओं को पूरा सम्मान और टिकट देने में वरीयता देने की बात करती है।
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